Mashroom Production: इस राज्य में उत्पादन इतना घटा... मशरूम के कीमतों में हो रही है लगातार बढ़ोतरी! क्या है इसकी वजह
बिहार में काफी मात्रा में मशरूम उत्पादित किया जाता है. हिमाचल प्रदेश भी बड़ा क्षेत्र रहा है, लेकिन यहां खाद न मिलने से मशरूम ही 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है.

Mashroom Ki Kheti: मशरूम पोष्टिक डाइट के तौर पर जानी जाती है. बिहार में मशरूम की खेती बहुत अधिक की जाती है. वहां किसान झोपड़ियों में मशरूम की खेती करते हैं. इन्हें मशरूम हट के नाम से जाना जाता है. लोग मशरूम को बेचकर मोटी कमाई कर लेते हैं. मशरूम खाने के बहुत लोग शौकीन होत हैं. लेकिन भारत के एक राज्य में मशरूम को लेकर राहत भरी खबर नहीं है. यहां उत्पादन घटने के कारण मशरूम के दामों में ही आग लग गई है. लोग मशरूम खाने के लिए बाजार में जा रहे हैं. मगर दाम सुनकर खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है.
हिमाचल में 200 रुपये किलो हुआ मशरूम
हिमाचल में मशरूम के दामों में 50 प्रतिशत तक बढ़त देखने को मिली है. रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में मशरूम 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा था. वहीं, अब इसकी कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है. इतने बढ़े भाव देखकर खुद आम लोग हैरान हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि 200 ग्राम मशरूम का पैकेट 40 रुपये में मिल रहा है. एक किलो लेने में पैसे थोड़े कम कर दिए जाते हैं.
हिमाचल में 5000 टन उत्पादन घटा
कीमत बढ़ने के पीछे उत्पादन बड़ा कारण बताया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश के मार्केट एक्सपर्ट ने बताया कि 5 साल पहले मशरूम का उत्पादन 8000 प्रति टन था, अब यह घटकर 3000 प्रति टन रह गया है. 5000 टन उत्पादन की घटत बहुत बड़ी मानी जा रही है. उत्पादन घटने के कारण बाजार में मशरूम नहीं पहुंच रहा है और कीमत आसमान छू रही हैं.
इस वजह से घटा मशरूम का उत्पादन
उत्पादन घटने के पीछे खाद न मिल पाना बड़ा फैक्टर माना जा रहा है. जानकारों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में मशरूम खाद पर सब्सिडी नहंी मिल रही है. 5 साल पहले सोलन-चंबाघाट स्थित कंपोस्ट यूनिट से किसान खाद ले लेते थे. इस समय छोटे-बड़े मशरूम उत्पादकों की संख्या बहुत अधिक थी. वर्ष 2017 में कालका-शिमला एनएच पर फोरलेन कार्य में उद्यान विभाग की 48 वर्ष पुरानी यूनिट हटने से यहां खाद बनाने का काम भी रुक गया.
खाद न मिलने के कारण ही सोलन सिरमौर, शिमला, किन्नौर और बिलासपुर जिला में मशरूम उत्पादन 60 फीसदी तक गिर गया है. किसानों को कंपोस्ट खाद महंगे दामों पर मिल रहा है. इसी कारण किसान उसे खरीद नहीं पा रहे हैं.
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Source: IOCL






















