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Gooseberry Farming: आंवला की बागवानी के लिये बेहतरीन है बारिश का मौसम, उन्नत बीजों के साथ इस तरीके से करें रोपाई

Amla Cultivation:अगर सही समय पर सही तकनीक से आंवला के बाग लगाये जायें तो इनसे अगले 50-60 सालों तक लाखों का मुनाफा लिया जा सकता है.

Herbal Farming of Amla Gooseberry: भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजर में हर्बल उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई है. देश-विदेश में लोग अपनी सेहत को रोगमुक्त बनाने के लिये हर्बल उत्पाद और जड़ी-बूटियों का सेवन कर रहे हैं. आयुर्वेद में भी इनके कई चमत्कारी फायदे गिनाये जाते हैं. इसलिये जरूरी है कि औषधीय फसलों की खेती उत्पादन को बढ़ाया जाये. आज हम बात करें हैं आंवला की, जिसकी मांग दवा कंपनियों के अलावा लोकल मार्किट में भी काफी रहती है. अगर सही समय पर आवंला के बाग लगाये जायें, तो अगले 50-60 सालों तक लाखों का मुनाफा लिया जा सकता है. 

आंवला की बागवानी
आंवला की सबसे ज्यादा बागवानी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में की जाती है. लगभग प्रकार की मिट्टी में इसकी बागवानी कर सकते हैं, लेकिन बलुई मिट्टी में सबसे अच्छी बढ़वार होती है. खासकर कम बारिश वाले इलाकों में आवंला के बाग खूब फलते-फूलते हैं, लेकिन इसके बागों की तैयारी के लिये जून का महीना सबसे अच्छा रहता है.


Gooseberry Farming: आंवला की बागवानी के लिये बेहतरीन है बारिश का मौसम, उन्नत बीजों के साथ इस तरीके से करें रोपाई

आंवला की किस्में
भारत में आंवला की सबसे उन्नत किस्मों में चकिया, फ्रांसिस, कृष्ण, कंचन नरेंद्र, और गंगा बनारसी शामिल है. नर्सरी तैयार करने के लिये आंवला की इन किस्मों का ही इस्तेमाल करें, जिससे कीड़े और बीमारियों संभावना कम रहे और पेड़ की अच्छी बढ़वार हो सके.

बाग की तैयारी
एक हैक्टेयर जमीन पर आंवला की बागवानी करने के लिये 8-10 मी. प्रति गड्ढे की दूरी पर 1-1.5 मीटर गहरी खुदाई करें. खुदाई के दौरान कंकड-पत्थर निकालकर अलग कर दें. जून की बारिश में इन गड्ढों को बरसात के पानी से भर दें और जुलाई में रोपाई से पहले इस पानी को बाहर निकाल दें. गड्ढों में 50-60 किग्रा. सड़ी हुई गोबर की खाद, एक किलो नीम की खली, 15-20 किग्रा. बालू और 8-10 किग्रा. जिप्सम का मिश्रण बनाकर हर गड्ढे को ऊपर तक भर दें.

आंवला की रोपाई
नर्सरी और खेत तैयार करने के बाद जुलाई से सितंबर के बीच खेतों में आवंला के पौधों की रोपाई का काम करें. गड्ढों में आंवला के पौधों को 1 मी. गहराई पर बोयें और आवंला की कम से कम दो किस्में जरूर लगायें. ऐसा करने से पौधे को आपस में परागण करने में मदद मिलती है और 5% तक परागण में तेजी देखी जाती है.

सिंचाई
आवंला के पौधों में रोपाई के तुरंत सिंचाई काम करना होगा, जिससे पौधों को खाद-उर्वरक के साथ-साथ मिट्टी के पोषक तत्व भी मिल सकें. गर्मियों में पौधों को हर सप्ताह पानी लगायें और बारिश में सिंचाई का मात्रा को कम कर दें. हालांकि आवंला पेड़ को बड़ा होने पर ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. ध्यान रखें कि पौधे में फूल निकलने के समय भी सिंचाई का काम नहीं करना चाहिये.

निराई-गुड़ाई और खरपतवार
शुरुआत में आंवला के पौधों के साथ-साथ अनावश्यक पौधे भी उग आते हैं, जो आंवला की बढ़वार को प्रभावित करते हैं. इससे निजात पाने के लिये बागों में निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें. आवंला के बाग में कम से कम 6-8 निराईयों की जरूरत पड़ती है, लेकिन पहली निराई-गुड़ाई 20-25 दिनों के भीतर कर लें.


Gooseberry Farming: आंवला की बागवानी के लिये बेहतरीन है बारिश का मौसम, उन्नत बीजों के साथ इस तरीके से करें रोपाई 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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