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यूपी: संघ, सरकार और संगठन का अयोध्या प्लान, काशी और मथुरा का नहीं लेगा कोई नाम

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले पर कुछ दिनों में फैसला सुना सकती है. फैसले से पहले संघ, सरकार और संगठन ने खास रणनीति अपनाई है. नेताओं को संयम बरतने और बयानबाजी से दूर रहने की हिदायत दी गई है.

लखनऊ: अयोध्या के राम मंदिर पर अदालत का फ़ैसला किसी भी समय आ सकता है. घड़ी के सुई के टिक टिक की तरह लोगों की धड़कनें भी तेज हो गई हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भव्य राम मंदिर बनाने का एजेंडा रहा है. बीजेपी के हर चुनावी घोषणापत्र में भी ये ज़रूर होता है. इसी बीजेपी की केन्द्र में सरकार है और कई राज्यों में भी. फ़ैसला जो भी हो लेकिन संघ, सरकार और बीजेपी संगठन ने पूरी तैयारी कर रखी है. तैयारी ऐसी कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे. मतलब ये कि राम मंदिर उनके खाते में चला जाये और देश भर से गड़बड़ी को कोई खबर भी न आये.

क्या अयोध्या के मंदिर पर फ़ैसले के बाद संघ और बीजेपी काशी और मथुरा पर फ़ोकस करेगी? इस बात पर समाज के एक हिस्से में बड़ी चिंता है. उन्हें डर है कि हिंदूवादी संगठन एक मंदिर के बाद दूसरे मंदिर पर बहस छेड़ देंगे. मुस्लिम समुदाय के बीच से कई मौक़ों पर ये आशंका जताई जा चुकी है. इसीलिए आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े पदाधिकारी मुस्लिम नेताओं से मिल रहे हैं. उन्हें समझाया जा रहा है कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा.

संघ के टॉप चार पदाधिकारियों में से एक ने कहा “ कोर्ट का जो भी फ़ैसला होगा, हम सब उसका सम्मान करेंगे. हमें भरोसा है मंदिर के पक्ष में ही निर्णय होगा. लेकिन इसके बाद हमारा कोई भी कार्यकर्ता काशी या मथुरा की बात नहीं करेगा”. वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानव्यापी मस्जिद है. इसी तरह मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि के पास भी एक मस्जिद है. हिंदूवादी संगठन इन मस्जिदों पर भी दावा ठोंकता रहा है. मंदिर आंदोलन के दौर में नारे लगते थे- ये तो पहली झांकी है, काशी, मथुरा बाक़ी है. लेकिन संघ की तरफ़ से दो टूक कह दिया गया है कि काशी और मथुरा की कोई चर्चा नहीं करेगा.

संघ की अगुवाई में बीजेपी ने राम मंदिर के फ़ैसले को लेकर होमवर्क पूरा कर लिया है. सरकार की लाईन भी तय कर दी गई है. संघ से जुड़े संगठनों विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को भी एक्टिव कर दिया गया है. इन संगठनों के कार्यकर्ता जन संपर्क में लगा दिए गए हैं. सबको समझा दिया गया क्या करना है और क्या नहीं करना है. सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से सबको चुप रहने को कहा गया है. मीडिया में कोई बयान नहीं देगा. सभी प्रवक्ताओं को भी मंदिर मसले पर मौन रहने के आदेश हैं. इसको लेकर दिल्ली में राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की मीटिंग हुई. लखनऊ, पटना, भोपाल समेत देश के कई शहरों में बैठकें हुई. लखनऊ में राज्य सभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, महासचिव अरुण सिंह और प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मीटिंग की.

राम मंदिर पर अदालती फ़ैसले के बाद सबसे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत बयान जारी कर सकते हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि वे दिल्ली में प्रेस कांफ़्रेंस करेंगे. उसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी अपने मन की बात करेंगे. संघ ने बीजेपी और वीएचपी के बयानवीर नेताओं को हद में रहने को कहा है. उन्हें बताया गया है कि ऐसा कुछ भी न बोले जिससे माहौल ख़राब हो. संघ के एक बड़े नेता ने बताया कि सबको काम बांट दिया गया है.

वीएचपी के आलोक कुमार और चंपत राय को दिल्ली में रहने को कहा गया है. जबकि सुरेन्द्र जैन लखनऊ में रहेंगे. जिन नेताओं को मीडिया में बात रखने की छूट दी गई है, उनकी एक लिस्ट बन चुकी है. जिन नेताओं के भड़काऊ बयान से हालात बिगड़ सकते हैं, उन्हें मीडिया से दूर रहने को कहा गया है. देश के सभी राज्यों की ज़िम्मेदारी संघ के किसी न किसी पदाधिकारी को दे दी गई है. बात कुछ ऐसी है कि मंदिर का क्रेडिट संघ, सरकार और संगठन को मिले, बिना किसी किंतु परंतु के. ऐसा ही माहौल मिल कर बनाया जा रहा है.

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