मतदाताओं को राइट टू रिजेक्ट यानी सभी प्रत्याशियों को नकारने का अधिकार देने पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है. आज कोर्ट ने इस पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया है कि अगर किसी चुनाव में नोटा को सबसे ज़्यादा वोट पड़ें, तो चुनाव रद्द माना जाना चाहिए. उस सीट पर नए सिरे से चुनाव होना चाहिए. बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका में बताया गया है कि 1999 में पहली बार विधि आयोग ने मतदाताओं को राइट टू रिजेक्ट देने की सिफारिश की थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने कई बार मतदाताओं को यह अधिकार देने की पैरवी की. यहां तक कि खुद सरकार की तरफ से चुनाव सुधार पर गठित एक कमिटी ने 2010 में नोटा और राइट टू रिजेक्ट का प्रावधान करने के पक्ष में रिपोर्ट दी. लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.
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