Sandeep Chaudhary: एक तरफ आधार पर घमासान...दूसरी तरफ घेरे में कानून राज! Bihar Election | Crime
शहर में 'बहार है, नीतीश कुमार है' नारे की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन अब 'अपराध की बहार है, कहाँ नीतीश कुमार है' का सवाल पूछा जा रहा है। बिहार में पिछले 11 दिनों में 31 से 32 लोगों की हत्याएं हुई हैं। इनमें खेमका, झाजी और रमाकांत यादव जैसे नाम शामिल हैं। पूर्णिमा में डायन के नाम पर पांच लोगों की हत्या का भी जिक्र है। लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री का नियंत्रण उनके हाथ में नहीं है और कोई और राज्य चला रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अब अखबार नहीं पढ़ते और न ही अधिकारियों को फोन करते हैं। कुछ लोग मुख्यमंत्री को अभयदान देने पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री वही हैं और सुशासन बाबू की उनकी छवि थी। 2005 से लगातार जंगलराज की याद दिलाई जा रही थी, और उस समय भी हाहाकार मच रहा था। अब आरोप लग रहा है कि आरजेडी पर चस्पा किया गया जंगलराज अब जेडीयू और नीतीश कुमार के सामने खड़ा है। नित्यानंद राय का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव के समय अपराधियों के साथ पंचायतें होती थीं और वे बेखौफ घूमते थे। हालांकि, कुछ लोग इस बात से असहमत हैं कि लालू के यहां से क्रिमिनल्स की पंचायतें होती थीं। पटना की मेयर सीता साहू के बेटे सुशील कुमार द्वारा कमिश्नर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी, क्योंकि उनके बेटे ने कथित तौर पर लोगों को बेइज्जत किया। पुलिस राजेश वर्मा को खोजने में परेशान है। ग्रामीण इलाकों में लोग रात में खेतों में पानी देखने नहीं जाते, क्योंकि उन्हें अपनी जान का खतरा है। स्थिति धीरे-धीरे खराब होती जा रही है और पुराने जंगलराज जैसी स्थिति वापस आ रही है। चिराग पासवान ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि "बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे?" तेजस्वी यादव ने भी इस बयान का इस्तेमाल किया है। कुछ लोगों का मानना है कि चिराग पासवान का यह बयान राजनीतिक लाभ के लिए है, न कि बिहार की स्थिति पर चिंता के कारण।
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