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सिर्फ पेपर ही पास नहीं करता चैट जीपीटी, ये डॉक्टरों के भी कई काम करता सकता है, जरा ये देखिए
ओपन एआई का चैटबॉट 'चैट जीपीटी' डॉक्टरों के कामकाज को भी आसान बना सकता है और उन्हें कई तरीके से मदद कर सकता है.
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ChatGPT Uses in Medical Field: चैट जीपीटी के बाजार में आने के बाद हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है. इस चैटबॉट ने वो सब कर दिखाया जो कभी किसी ने नहीं सोचा था. चैट जीपीटी ने बड़े-बड़े एग्जाम पास किए, बच्चों का होमवर्क, दफ्तरों में कामकाज आदि सभी कुछ ये चैटबॉट कर रहा है. एक कंपनी को तो इस चैटबॉट ने वकील का काम करते हुए फंसे हुए कई डॉलर वापस दिलवाए. आज चैट जीपीटी को लेकर जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं वो आपको और हैरान कर देगी. दरअसल, ये चैटबॉट डॉक्टरों की भी कई मायने में मदद कर सकता है.
डॉक्टरों के इन कामकाज को आसान बना सकता है चैटबॉट
चैट जीपीटी को ओपन एआई ने बनाया है. इस चैटबॉट में कंपनी ने पब्लिकली मौजूद सारा डेटा फीड किया है. इस डेटा के आधार पर ये सवालों के जवाब देता है. अब आप सोच रहे होंगे कि डॉक्टरों की मदद ये चैटबॉट कैसे कर सकता है तो हम अब ये बताते हैं.
दरअसल, इस चैटबॉट का सहारा लेकर डॉक्टर आसानी से Sick सर्टिफिकेट, पेशेंट के लिए लेटर, साथ ही मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी को भी पेमेंट रिक्वेस्ट लेटर लिख सकते हैं. यानी कागजी कार्रवाई से जुड़े जो भी कामकाज पेशेंट और डॉक्टर के बीच होते हैं उस काम में ये चैटबॉट बहुत मदद कर सकता है और इससे पेशेंट और डॉक्टर दोनों एक दूसरे को ज्यादा समय दे सकते हैं. चैट जीपीटी के जरिए मेडिकल रिकॉर्ड को संरक्षित करके रखना और टेलीमेडिसिन के कामकाज को भी आसान बनाया जा सकता है.
ये हैं उदाहरण-
लेकिन ये है पेंच
एक तरफ जहां चैट जीपीटी हेल्थ केयर सेक्टर में पेशेंट और डॉक्टर की मदद कर सकता है तो दूसरी तरफ ये बात भी सामने आ रही है कि इससे प्राइवेसी पर खतरा मंडरा सकता है. दरअसल, जब चैट जीपीटी में पेशेंट का डेटा स्टोर होगा तो ये भविष्य में उसका इस्तेमाल कर सकता है. इससे डॉक्टर और पेशेंट के रिलेशन खराब हो सकते हैं. हम सभी उस डॉक्टर के पास जाना पसंद करते हैं जहां हमारी जानकारी सुरक्षित रहती हो और हमें बेहतर तरीके से इलाज मिल पाता हो. अगर ये चैटबॉट किसी पेशेंट का डेटा कहीं और इस्तेमाल करता है तो इससे प्राइवेसी ब्रेक हो सकती है. दूसरी तरफ, चैटबॉट को लेकर एक कंसर्न ये भी है कि इस चैटबॉट का डेटा लिमिटेड है जिसकी वजह से लेटेस्ट रिसर्च आदि में गड़बड़ हो सकती है.
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