मुनस्यारी इको हट घोटाला: बिना अनुमति निर्माण, 1.63 करोड़ घपला और CBI-ED जांच की सिफारिश
Pithoragarh News: रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मुनस्यारी रेंज के खलिया आरक्षित वन क्षेत्र में बिना निविदा और अनुमति के निर्माण कार्य किए गए.एक निजी फर्म को बिना अनुमोदन के चुना गया.

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी इको हट स्कैम ने वन कानून उल्लंघन और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों को लेकर चर्चा में है. केंद्र सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए 13 अगस्त को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के माध्यम से उत्तराखंड सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने और दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है.
यह कार्रवाई IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की 500 पन्नों की विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें 2019 में 1.63 करोड़ की लागत से हुए इको हट्स, डोरमेट्री, और वन कुटीर निर्माण में भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन उजागर हुआ है.
बिना निविदा और अनुमति के हुए काम
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मुनस्यारी रेंज के खलिया आरक्षित वन क्षेत्र में बिना निविदा और अनुमति के निर्माण कार्य किए गए. एक निजी फर्म को बिना अनुमोदन के चुना गया, और पर्यटन आय का 70% हिस्सा एक विवादास्पद MoU के तहत निजी संस्था को दे दिया गया. इसके अलावा 90 किमी फायरलाइन सफाई का दावा किया गया, जबकि वास्तव में केवल 14.6 किमी साफ हुआ. तत्कालीन डीएफओ डॉ. विनय भार्गव इस मामले में मुख्य रूप से जांच के घेरे में हैं. राज्य सरकार ने जुलाई 2025 में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब उन पर आरोप लगे हैं. 2015 में भी अनियमितताओं के बावजूद उन्हें अनुभवहीनता के आधार पर क्लीन चिट दी गई थी.
CBI-ED जांच की सिफारिश
संजीव चतुर्वेदी की रिपोर्ट में धन शोधन की आशंका जताते हुए मामले को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंपने की सिफारिश की गई है. केंद्र ने राज्य के प्रमुख सचिव (वन) को वन (संरक्षण) नियम, 2023 के तहत औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया है. मंत्रालय ने दोषियों की पहचान और उनके खिलाफ धारा 3A/3B के तहत कार्रवाई की मांग की है.
कार्रवाई को लेकर उत्तराखंड सरकार पर नजर
बता दें कि मुनस्यारी जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव-विविधता के लिए प्रसिद्ध है, में इस घोटाले ने इको-टूरिज्म की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. स्थानीय समुदाय और पर्यावरणविद् इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं अब सभी की नजरें उत्तराखंड सरकार और वन विभाग पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या कदम उठाते हैं ?
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Source: IOCL






















