राज्य मानवाधिकार आयोग पहुंचा सपा सांसद का मामला, करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई का निर्देश
शिकायत में कहा है कि राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन की संसद में राणा सांगा पर टिप्पणी के बाद उनके घर पर तोड़फोड़ की गई. करणी सेना नाम के संगठन द्वारा प्रदर्शन के दौरान भारी हंगामा किया गया.

UP News: समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के राणा सांगा को लेकर विवादित बयान के बाद मचे बवाल का मामला अब राज्य मानवाधिकार आयोग पहुंचा है. आयोग ने सांसद रामजीलाल सुमन के घर हंगामा करने और उनके खिलाफ जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करने वाले करणी सेना के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है.
आगरा में लगातार जातीय विद्वेष फैलाने का प्रयास करने वाले करणी सेना के कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों के खिलाफ चार हफ्ते में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. आयोग ने पुलिस कमिश्नर आगरा को कार्रवाई करने का आदेश दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने 8 अप्रैल को राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी.
करणी सेना की शिकायत की
उन्होंने शिकायत में कहा है कि राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन की संसद में राणा सांगा पर टिप्पणी के बाद उनके घर पर तोड़फोड़ की गई. करणी सेना नाम के संगठन द्वारा प्रदर्शन के दौरान भारी हंगामा किया गया. हालांकि संसद में हुई किसी भी चर्चा या बयान पर कार्यवाही का अधिकार केवल संसद को है, न कि किसी बाहरी शक्ति को किसी तरह की कार्रवाई का अधिकार है.
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा संसद में ही विचार का समर्थन न करने वाले लोगों द्वारा इसका विरोध भी किया जा सकता है. लेकिन एक जाति विशेष के कथित संगठन द्वारा लगातार यूपी की कानून व्यवस्था को विरोध प्रदर्शन की आड़ में खराब करने का प्रयास किया जा रहा है. पहले इनके द्वारा हजारों की संख्या में पहुंचकर सांसद के घर तोड़ फोड़ की गई.
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जातीय विद्वेष फैलाने वाली टिप्पणी
शिकायत में कहा गया है कि इसके बाद सांसद को जाति की गालियां और अपमान सूचक शब्द कहे गए. आये दिन इस संगठन द्वारा यूपी की अहीर, मुस्लिम, पासी आदि तमाम पिछड़ी और अनुसूचित जातियों को लक्ष्य बनाकर सोशल मीडिया आदि पर सार्वजनिक तौर पर गाली-गलौच और जातीय विद्वेष फैलाने वाली टिप्पणी की जा रही हैं.
इससे समाज के दो वर्गों में आपस में विद्वेष फैलाने का प्रयास हो रहा है. लेकिन यूपी पुलिस प्रशासन द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है. अधिवक्ता ने राज्य मानवाधिकार आयोग से मांग की थी कि मामले में हस्तक्षेप कर उचित कार्यवाही की जाए. उन्होंने करणी सेना संगठन पर तत्काल प्रतिबंध लगाए जाने की भी मांग की थी.
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