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कोरोना काल में अनाथ हुए 7464 बच्चे, यूपी में सबसे ज्यादा ऐसे बच्चों की संख्या
एनसीपीसीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 9346 ऐसे बच्चें है जो कोरोना महामारी के कारण बेसहारा और अनाथ हो गए हैं. ऐसे बच्चों में यूपी के बच्चों की संख्या अधिक है.
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नई दिल्ली. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 29 मई तक राज्यों की ओर से प्रदान किए गए डेटा के मुताबिक 9346 ऐसे बच्चें है जो कोरोना महामारी के कारण बेसहारा और अनाथ हो गए हैं या फिर अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है.
न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष पेश एक अलग नोट में महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 30 मई तक राज्य के विभिन्न इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार 4,451 बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खो दिया है तथा 141 ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता दोनों की मौत हो गई.
यूपी के बच्चों की संख्या अधिक
एनसीपीसीआर ने वकील स्वरूपमा चतुर्वेदी के जरिए दायर हलफनामे में कहा कि ऐसे सबसे ज्यादा 2110 बच्चे उत्तर प्रदेश में हैं. इसके साथ ही बिहार में 1327, केरल में 952 और मध्य प्रदेश में 712 बच्चे कोरोना महामारी के कारण अनाथ हो गए या फिर माता-पिता में से किसी एक को खो दिया.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने राज्य सरकारों से कहा कि वे सात जून तक एनसीपीसीआर की वेबसाइट ‘बाल स्वराज’ पर डेटा अपलोड करें और कोरोना वायरस संक्रमण के कारण प्रभावित हुए बच्चों से जुड़ा विवरण उपलब्ध कराएं. बता दें कि कोर्ट बाल गृहों में कोविड फैलने पर स्वत: संज्ञान लेने से जुड़े एक मामले में सुनवाई कर रहा है.
एनसीपीसीआर ने अपने हलफनामे में कहा कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी और बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाएं. उसने कहा कि इस दिशा में पहला कदम जरूरतमंद बच्चों की पहचान करना और ऐसे बच्चों का पता लगाने के लिए व्यवस्था विकसित करना है. आयोग ने कहा कि उसने ‘बाल स्वराज’ पोर्टल तैयार किया है जिसके जरिए ऐसे बच्चों का डेटा एकत्र किया जा रहा है.
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