केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव से पहले कांग्रेस में गुटबाजी, प्रत्याशी के चयन को लेकर बढ़ी खींचतान
Kedarnath Bypoll 2024: कांग्रेस पार्टी को हाल ही में बदरीनाथ और मंगलौर के उपचुनाव में मिली जीत से उत्साह मिला है और पार्टी को केदारनाथ उपचुनाव में भी अपनी जीत की उम्मीद है.
Kedarnath Bypoll Election 2024: केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने जिताऊ प्रत्याशी की तलाश तेज कर दी है. इस सिलसिले में पार्टी द्वारा किया गया सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जिसकी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा को सौंप दी गई है. अब पार्टी के नियुक्त पर्यवेक्षक विधानसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे और प्रत्याशी के चयन के लिए पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेंगे. सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर पार्टी का हाईकमान अंतिम निर्णय लेकर प्रत्याशी की घोषणा करेगा.
कांग्रेस पार्टी के भीतर प्रत्याशी के नाम को लेकर खींचतान और गुटबाजी की स्थिति सामने आ रही है. इस चुनाव में टिकट के लिए कई प्रमुख नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जिनमें पूर्व विधायक मनोज रावत, जिलाध्यक्ष कुंवर सजवाण और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत शामिल हैं. हालांकि, अभी तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है, जिससे पार्टी के अंदर गुटबाजी के संकेत मिल रहे हैं.
केदारनाथ उपचुनाव को लेकर तैयारी
कांग्रेस पार्टी को हाल ही में बदरीनाथ और मंगलौर के उपचुनाव में मिली जीत से उत्साह मिला है और पार्टी को केदारनाथ उपचुनाव में भी अपनी जीत की उम्मीद है. लेकिन, प्रत्याशी चयन को लेकर पार्टी के अंदर मची खींचतान से कांग्रेस की रणनीति पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. पार्टी के कुछ सूत्रों के अनुसार, प्रत्याशी के चयन में देरी और आंतरिक मतभेद से पार्टी की चुनावी धार कुंद होती दिखाई दे रही है.
प्रत्याशी चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने विधायक भुवन कापड़ी और वीरेंद्र जाती को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. ये पर्यवेक्षक केदारनाथ क्षेत्र में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और उनकी राय लेंगे. वहीं, प्रदेश प्रभारी सैलजा कुमारी ने अलग से पर्यवेक्षक के रूप में गणेश गोदियाल और लखपत बुटोला को नियुक्त किया है, जिससे पार्टी के अंदर असमंजस की स्थिति बन गई है.
कांग्रेस के बीच दिखा मतभेद
माहरा द्वारा पहले से किए गए पर्यवेक्षक नियुक्ति के बावजूद, सैलजा कुमारी ने नए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी, जिससे करन माहरा नाराज बताए जा रहे हैं. इससे पहले भी लोस चुनाव और बदरीनाथ-मंगलौर उपचुनाव के दौरान प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के बीच मतभेद देखने को मिले थे, जब सैलजा कुमारी ने करन माहरा द्वारा जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. इस घटनाक्रम से प्रदेश अध्यक्ष माहरा असहज महसूस कर रहे हैं और प्रदेश प्रभारी के फैसलों से आहत भी हैं.
अंतिम निर्णय पर टिकी निगाहें
केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा, यह सवाल अब पार्टी के हाईकमान के सामने है. सर्वेक्षण की रिपोर्ट और पर्यवेक्षकों के दौरे के बाद ही प्रत्याशी का अंतिम चयन किया जाएगा. इस बीच, पार्टी के भीतर मची खींचतान से जहां एक ओर कांग्रेस के भीतर असंतोष के संकेत मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर सबसे उपयुक्त और जिताऊ उम्मीदवार का चयन किया जाएगा.
कांग्रेस को इस उपचुनाव से काफी उम्मीदें हैं, लेकिन आंतरिक मतभेदों से पार्टी के सामने चुनौतियां भी खड़ी हो गई हैं. अब देखना होगा कि पार्टी इन मतभेदों को सुलझाकर एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरती है या नहीं.