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बढ़ती महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट, आम आदमी की थाली से दूर हुआ आलू, प्याज

बढ़ती महंगाई को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि दिहाड़ी मजदूर और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग ही नहीं, बल्कि एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए भी आलू, प्याज की कीमतों में आए उछाल की वजह से अपने रसोई के बजट का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है.

नई दिल्ली: एक तरफ कोरोना का संक्रमण तो दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई. दोनों की वजह से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. आलू और प्याज के दाम आम लोगों की पहुंच से दूर हो रहे हैं. इस समय एक-एक किलो आलू और प्याज खरीदने के लिए 150 रुपये भी पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे समय जबकि आम लोग कोविड-19 की वजह से पहले ही काफी संकट में हैं, इन सब्जियों की कीमतों में आए उछाल से उनकी परेशानी और बढ़ गई है.

गरीब परिवारों की स्थिति काफी खराब कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि आवश्यक जिंसों की कीमतों में तेजी, मजदूरी में गिरावट और बेरोजगारी बढ़ने की वजह से सरकार के राहत उपायों के बावजूद आज गरीब परिवारों की स्थिति काफी खराब है. विशेषज्ञों ने कहा कि सिर्फ दिहाड़ी मजदूर और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग ही नहीं, बल्कि एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए भी पिछले कुछ सप्ताह के दौरान आलू, प्याज की कीमतों में आए उछाल की वजह से अपने रसोई के बजट का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है.

बारिश की वजह से फसल हुई खराब राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों के थोक और खुदरा बाजारों दोनों में आलू और प्याज के दाम ऊंचे चल रहे हैं. सरकार का कहना है कि भारी बारिश की वजह से फसल खराब होने के चलते ये स्थिति बनी है. व्यापार आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में प्याज का खुदरा भाव 21 अक्टूबर को 80 रुपये किलो पर पहुंच गया. जून में यह 20 रुपये प्रति किलोग्राम था. इसी तरह इस अवधि में आलू भी 30 रुपये से 70 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है. मदर डेयरी की सफल दुकानों पर पिछले सप्ताह आलू 58 से 62 रुपये था. वहीं, इन दुकानों पर प्याज तो लगभग गायब ही था.

मुश्किल से हो रहा गुजारा सदर बाजार में रिक्शा चलाने वाले बृजमोहन ने कहा कि, ''मैं रोजाना 150 से 200 रुपये कमाता हूं. आलू और प्याज खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकता. मैं अपने पांच लोगों के परिवार का पेट कैसे भरूंगा. बाकी सब्जियों भी काफी महंगी हैं. हम कैसे पेट भर पाएंगे.'' बिहार निवासी मोहन जो कोविड-19 लॉकडाउन में ढील के बाद दिल्ली लौटे हैं, ने कहा कि संक्रमण के डर से अब काफी कम लोग रिक्शा पर बैठते हैं. किसी तरह घर का खर्च चला रहा हूं.'' बढ़ई का काम करने वाले उत्तर प्रदेश के मुस्तकीन ने कहा कि, ''हालांकि, बाजारों में अब स्थिति सामान्य हो रही है, लेकिन मेरी कमाई अब भी काफी कम है. प्याज और आलू के दाम आमसान छू रहे हैं, मैं अपने बच्चों का पेट कैसे भर पाऊंगा.''

समस्या हल नहीं हो पाएगी एक विशेषज्ञ का कहना है कि आवश्यक जिंसों की कीमतों में उछाल के बीच मजदूरी में कमी और बेरोजगारी बढ़ने की वजह से राशन कार्ड के जरिये मुफ्त अनाज के वितरण से भी आम आदमी की समस्या हल नहीं हो पाएगी.

सरकार ने किए हैं कई उपाय संकट के समय गरीबों को राहत के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं. सरकार ने नवंबर तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत राशन की दुकानों के जरिये प्रति व्यक्ति पांच किलो अतिरिक्त अनाज देने की घोषणा की है. इसके अलावा सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (स्वनिधि) कार्यक्रम की भी घोषणा की है.

आलू तो खरीदना पड़ेगा निजामुद्दीन क्षेत्र में घरों में काम करने वाली (हाउसमेड) रोमा देवी ने कहा कि, ''राशन की दुकान के जरिये कितना भी अनाज मुफ्त मिल जाए, लेकिन आलू और प्याज तो खरीदना ही पड़ेगा.'' रोमा देवी ने बताया कि उनकी रोजाना की आलू की जरूरत एक किलोग्राम है. पास के बाजार से उन्होंने 70 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर आधा किलो आलू खरीदा है.

कुछ महीने पहले ये थी स्थिति खास बात ये है कि कुछ माह पहले तक भारत दोनों जिंसों का निर्यात कर रहा था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल जून तक भारत ने 8,05,259 टन प्याज का निर्यात किया था. वहीं, मई तक 1,26,728 टन आलू का निर्यात किया गया था.

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