बस्ती के परशुरामपुर ब्लॉक में सरकार नहीं दे पाई पक्की सड़क, खाट पर लाए महिला का शव
UP News: आजादी के 70 साल बाद भी अगर किसी गांव में जाने के लिए एक अदद रास्ता न हो, तो इसे क्या कहेंगे? विकास की बातें, योजनाओं के दावे और सरकारी प्रयासों की पोल खोलने वाली कहानी बस्ती से आई है.

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही विकास को लेकर लाख दावे क्यों न कर रही हो, मगर बस्ती से जो तस्वीर सामने आई है, वह सरकारी दावों को आईना दिखाने के लिए काफी है. जिले के परशुरामपुर ब्लॉक के एक गांव की बदहाली तब सामने आई, जब एक 42 वर्षीय महिला का शव एम्बुलेंस से घर तक नहीं पहुंच सका. परिजनों को मजबूरी में खाट पर शव रखकर ले जाना पड़ा. वीडियो वायरल होने के बाद जिम्मेदारों पर सवाल खड़े हो गए हैं.
मामला परशुरामपुर ब्लॉक के करणपुर गांव का है, जहां की रहने वाली मानती निषाद की लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजन 200 किलोमीटर का सफर तय कर शव को एम्बुलेंस से गांव तक ले आए, लेकिन गांव के बाहर कच्चा और ख़राब रास्ता होने के कारण एम्बुलेंस घर तक नहीं जा सकी. इसके बाद मजबूर होकर परिजनों ने खाट का सहारा लिया और शव को खाट पर लादकर घर तक पहुंचाया.
यह मंज़र न सिर्फ़ दिल दहला देने वाला था, बल्कि इसने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आज भी हमारे समाज का एक हिस्सा बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है. एक तरफ जहाँ सरकारें बड़े-बड़े विकास के दावे करती हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे गांव हैं जो आज भी एक पक्के रास्ते के लिए तरस रहे हैं.
सिस्टम की लापरवाही और ग्रामीणों की लाचारी
इस घटना ने स्थानीय लोगों में काफ़ी रोष पैदा कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि वे सालों से अधिकारियों से रास्ते की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. इस गांव के लोगों का जीवन किसी अभिशाप से कम नहीं है, जहां न सिर्फ़ लोगों को रोजमर्रा की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, बल्कि दुख की घड़ी में भी उन्हें ऐसी मुश्किलों से जूझना पड़ता है.
यह वायरल वीडियो सिर्फ़ एक घटना नहीं, बल्कि उन लाखों ग्रामीण क्षेत्रों की कहानी है जो सरकारी तंत्र की उदासीनता का शिकार हैं. यह सवाल उठाता है कि आखिर कब तक लोग ऐसी बुनियादी ज़रूरतों के लिए संघर्ष करते रहेंगे और कब तक ऐसी तस्वीरें वायरल होती रहेंगी?
कब तक नसीब होगी पक्की सड़क
क्या इस घटना के बाद भी संबंधित अधिकारी कोई ठोस कदम उठाएंगे या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में भुला दिया जाएगा? इस बारे में बीडीओ विनोद सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि गांव में सड़क न होने की जानकारी नहीं थी, मामला संज्ञान में आया है जल्द ही ग्रामीणों की समस्या का निदान कराया जाएगा.
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