'जामा मस्जिद के साथ नाइंसाफी', संभल हिंसा रिपोर्ट पर बोले मौलाना शाहबुद्दीन रजवी
Bareily News: यूपी के संभल में हुई हिंसा के मामले में बनाई गई तीन सदस्यों की कमेटी ने 450 पन्नो की रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. जिस पर मौलाना शाहबुद्दीन की प्रतिक्रिया सामने आई है.

उत्तर प्रदेश स्थित संभल में 24 नंवबर 2024 को हुई हिंसा के बाद तीन सदस्यों की कमेटी बनाई गई थी जिसने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष 450 पन्नों की रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट के अंदर पुराने दंगों की तारीखों से लेकर मौतें, प्रशासन की कार्रवाई और फिर दंगे के बाद के हालात की जानकारी शामिल है. इस रिपोर्ट पर अब बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की प्रतिक्रिया आई है.
क्या बोले मौलाना शाहबुद्दीन?
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने साल 2024 में जामा मस्जिद सम्भल के सर्वे के दरमियान हुए दंगे पर रिपोर्ट शासन को पेश किये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रिपोर्ट निष्पक्ष होना चाहिए, मगर निष्पक्ष न होकर पक्षपात को जाहिर कर रही है.
उन्होंने कहा है कि रिपोर्ट मे कहा गया है कि हरिहर मंदिर को तोडकर मस्जिद का निर्माण कराया गया, जबकि हकीकत यह है कि 1525 ई० वी० मे बाबर के अहद मे मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ, और 1530 मे मस्जिद का निर्माण मुकम्मल हुआ. मस्जिद के निर्माण की निगरानी बाबर के एक पदाधिकारी जो हिन्दू थे उन्होंने जिम्मेदारी निभाई.
जामा मस्जिद के साथ नाइंसाफी की जा रही है- मौलाना शहाबुद्दीन
मौलाना ने कहा कि दिन के उजाले में सम्भल की जामा मस्जिद के साथ न इंसाफी की जा रही है. जहां तक देश की बात है तो हम देश की यकता अखंडता के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार है, मगर मस्जिद के नाम पर किसी से समझौता नहीं कर सकते हैं. ये मस्जिद है, और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी.
मौलाना ने रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया में आने पर आपत्ति करते हुए कहा कि रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश की जाती है, उसका कोई भी पहलू सार्वजनिक नहीं किया जा सकता मगर इस रिपोर्ट के कुछ पहलू मंजरे आम पर कैसे आ गए, इसका मतलब है कि जानबूझकर ये तरीका अपनाया गया है. भारत का मुसलमान इस रिपोर्ट को खारिज करता है.
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