सूर्य के संक्रमण से शुरू हो जाएगा खरमास...नहीं होंगे शुभ कार्य..ऐसे करें सूर्य की उपासना
सूर्य के राशि परिवर्तन से अच्छे और बुरे समय का निर्धारण होता है। साथ ही समय विशेष के लिये अच्छे कार्य रोक दिये जाते हैं

नई दिल्ली। हिन्दू रीति रिवाज में सूर्य की पूजा का विशेष महत्व होता है। सूर्य की गति के अनुसार ही शुभ या अशुभ कार्यों का निर्धारण होता है। 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से खरमास शुरू हो जाएगा। 13 अप्रैल तक यह स्थिति रहेगी। इस दिन यानि 13 को सूर्य अपनी स्थिति में परिवर्तन करते हुये मेष राशि में प्रवेश करेगा और खरमास का समापन होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस माह सूर्य गुरु ग्रह की सेवा में रहते हैं। इस वजह से इन दिनों में शुभ कार्य नहीं होते हैं। इस माह में सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए। 13 को सूर्य के संक्रमण काल से मीन संक्रांति है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान-पुण्य करना चाहिये।
भविष्य पुराण में कृष्ण ने बताया सूर्य पूजा का महत्व
भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के संवाद बताए गए है। सांब श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने सांब को सूर्य देव की महिमा बताई है। श्रीकृष्ण ने सांब को बताया कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य की पूजा करता है, उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है। स्वयं मैंने भी सूर्य की पूजा की और इसी के प्रभाव से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।
सूर्य पूजा की विधि
-सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करें। -सूर्य मंत्र - ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ आदित्याय नमः, ऊँ दिनकराय नमः, ऊँ दिवाकराय नमः, ऊँ खखोल्काय स्वाहा इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। उपासना में धूप, दीप जलाएं और सूर्य का पूजन करें।
सूर्य के लिए कर सकते हैं ये शुभ काम सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। हर रविवार सूर्य के लिए व्रत करें।
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