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Rajasthan: 85 साल पहले बना था जोधपुर का उम्मेद अस्पताल, यहां रोजाना होती है 70 से 80 बच्चों की डिलीवरी

Jodhpur: महाराजा उम्मेद सिंह ने इस अस्पताल की नींव 1936 में रखी थी और 1938 में अस्पताल की शुरुआत हुई. प्रिंसिपल रंजना देसाई ने बताया कि 2004 में एशिया का सबसे बड़े अस्पताल के रूप में नॉमिनेट हुआ था.

Jodhpur Umaid Hospital News: जोधपुर का एक ऐसा बहुचर्चित भवन जो अधिकतर जोधपुर नागरिकों के जन्म का साक्षी रहा है. जोधपुर और आसपास के जिलों में अधिकतर ऐसे व्यक्ति हैं. जिनके जन्म का साक्षी उम्मेद अस्पताल रहा है. उम्मेद जनाना अस्पताल जहां सात जिलों से मरीज यहां पहुंचते हैं. इस अस्पताल में रोजाना 70 से 80 बच्चों का जन्म होता है. 

इस अस्पताल की नींव 1936 में रखी गई और 1938 में अस्पताल की शुरुआत हुई. अस्पताल की खास बात यह है कि इस जनाना अस्पताल की नींव राजकुमारी ने रखी थी. वैसे यह अस्पताल कई बार विवादों में भी रहा है लेकिन इस अस्पताल में सेवा देने वाले डॉक्टर, स्टाफ नर्सिंगकर्मी भी बेहद अच्छा काम कर रहे हैं.

उम्मेद अस्पताल को लक्ष्य का सर्टिफाइड
एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल रंजना देसाई ने बताया कि उम्मेद अस्पताल को लक्ष्य का सर्टिफिकेट भी मिला हुआ है. 2004 के सर्वे में एशिया का सबसे बड़े अस्पताल के रूप में नॉमिनेट हुआ था. हमारे अस्पताल में सभी मरीजों को ठीक करने के लिए हमारे डॉक्टर की टीम लगातार काम करती है. प्रतिदिन 70 से 80 बच्चे इस अस्पताल में जन्म लेते हैं. जिसमें 30% सिजेरियन और 70% नॉर्मल डिलीवरी होती है. हालांकि डॉक्टरों की कमी है. चिकित्सा मंत्री जी का जन्म इसी अस्पताल में हुआ है. तो हम उनसे मांग करते हैं कि इस अस्पताल को डेवलप किया जाए. मॉड्यूलर ओटी वी सेंट्रलाइज्ड एसी वार्ड बनाया जाए.

7 जिलों से आते हैं मरीज प्रतिदिन 70 से 80 डिलीवरी
जोधपुर उम्मेद अस्पताल के अधीक्षक अफजल खान ने बताया कि उस समय जब इसकी शुरुआत हुई थी. उस दौरान एक- दो महिलाओं की डिलीवरी हुआ करती थी. धीरे-धीरे समय बदला और आबादी में भी काफी बदलाव हुआ. उसे डिलीवरी में भी परिवर्तन होने लगा. आज के समय प्रतिदिन 70 से 80 बच्चे यहां जन्म लेते हैं. यह अस्पताल संपूर्ण सुविधाओं से युक्त हैं. कई बार हमारे सामने चैलेंज भी रहते हैं. क्योंकि पश्चिम में राजस्थान के 7 जिलों से दूरदराज से आने वाले मरीज गंभीर स्थिति में आते हैं. उन मरीजों को संतुष्ट करने के लिए हमारी पूरी टीम काम करती है.

गर्भवती महिलाओं के लिए 100 बेड हैं. वही पूरे अस्पताल में 900 के करीब बेड है. अस्पताल में मॉड्यूलर ओटी विकसित की गए हैं. जहां पर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को स्ट्रेस फ्री रखने के लिए म्यूजिक का इंतजाम किया गया है.

भारी तादाद में होने वाली डिलीवरी एक बड़ी चुनौती
डॉक्टर रिजवाना शाहीन ने यह बताएं कि पश्चिमी राजस्थान के दूरदराज गांव से आने वाले मरीजों की कई बार गंभीर स्थिति होती है. हमारा अस्पताल तो काफी डेवलप है. लेकिन दूरदराज गांव में अस्पतालों में ओटी नहीं होने और ना ही मॉड्यूलर ओटी होने के कारण वहां से मरीजों को रेफर किया जाता है. वहां से आते समय में किसी भी तरह की दुर्घटना जैसी स्थिति बन जाती है. हमारी यह सोच रहती है कि सभी मरीजों को संतुष्ट करें मेरे जीवन में मैंने हजारों की तादाद में डिलीवरी कराई है. दो केस ऐसे आए थे. मेरे सामने दोनो गर्भवती महिलाओं के एक साथ चार बच्चे हुए.वो सभी सकुशल रहे अन्यथा कई बार ऐसा माना जाता है कि वह बच्चे रहते नहीं है.

सरकारी योजनाओं के अनुसार उपचार
पीडियाट्रिक डॉक्टर मोहन मकवाना ने बताया कि हमारे यहां पर PICU व ICU के साथ साफ सुथरा वातावरण के अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं. डॉक्टरों की कमी है. फिर भी हमारी टीम दिन-रात इसी प्रयास में रहती है कि किसी भी मरीज को किसी तरह की परेशानी नहीं हो हमारे अस्पताल में सभी सरकारी योजनाओं को ध्यान में रखते हुए काम किया जाता है.

उम्मेद जनाना अस्पताल का इतिहास
उम्मेद जनाना अस्पताल का निर्माण जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा करवाया गया था. जिन्हें आधुनिक युग का निर्माता भी कहा जाता है. क्योंकि उन्होंने अपने शासनकाल में जोधपुर में कई नवीन और आधुनिक कार्य करवाए थे. उनमें से एक जोधपुर का उम्मेद अस्पताल भी है. जिसकी नींव 1936 में महाराजा उम्मेद सिंह की पुत्री राजेंद्र कांवर के हाथों रखी गई और इसके शुभारंभ के दौरान भव्य समारोह भी करवाया गया. उस समय इस अस्पताल को बनाने में करीब 12.5 लाख रुपए खर्च हुए थे. अस्पताल में 66 बीमार महिलाओं को रहने के लिए कॉटेज वार्ड और 500 से 1000 मरीजों के लिए जनरल वार्ड बनाए गए थे.

भामशाओ का योगदान
उम्मेद अस्पताल के प्रति जोधपुर जिले के भामाशाहों का भी अहम योगदान रहा. इसमें सबसे पहले भामाशाह सेठ चंपालाल खीचन और मूलराज गोलेछा अस्पताल के निर्माण में 27000 रुपए की आर्थिक सहायता की थी. उसके बाद जोधपुर जिले के कई भामाशाह आये और कई तरह के डेवलपमेंट अस्पताल में किया जा चुके हैं. अभी आधुनिक युग का आधुनिक अस्पताल के रूप में मरीजों की सेवा कर रहा है.

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