कौन हैं बहादुर IPS अफसर सदानंद दाते, 26/11 आतंकी हमले में बचाई थी लोगों की जान, अब तहव्वुर राणा को लाएंगे भारत
Tahawwur Rana News: सदानंद दाते 1990 बैच के महाराष्ट्र कैडर के सीनियर आईपीएस अधिकारी हैं. वे 2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी वीरता और मानवता के लिए विशेष रूप से पहचाने जाते हैं.

Tahawwur Rana Case: 6 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी और पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाया जा रहा है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दी है. इससे उसकी भारत वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ है. सूत्रों के अनुसार, राणा को एक विशेष विमान से भारत लाया जा रहा है और उसके आज रात या कल सुबह तक पहुंचने की संभावना है. राणा पर 2008 के मुंबई हमलों में भूमिका निभाने का आरोप है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे.
भारत लाने के बाद नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) सबसे पहले तहव्वुर हुसैन राणा को कस्टडी में रखकर पूछताछ करेगी. अमेरिका से भारत लाकर NIA की कस्टडी में रखकर पूछताछ की बड़ी जिम्मेदारी NIA चीफ और वरिष्ठ IPS अधिकारी सदानंद दाते के पास है. एक संयोग ये भी है कि राणा की जिम्मेदारी संभालने वाले आज के NIA चीफ सदानंद दाते ने 26/11 आतंकी हमले और देश के दर्द को करीब से देखा और आतंकियों के हमले से आम लोगो को बचाया था.
कौन हैं NIA चीफ सदानंद दाते?
सदानंद दाते 1990 बैच के महाराष्ट्र कैडर के सीनियर आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी हैं, जिनकी गिनती देश के बहादुर और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों में होती है. वे 2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी वीरता और मानवता के लिए विशेष रूप से पहचाने जाते हैं. सदानंद दाते ने महाराष्ट्र कैडर में सेवा दी है और समय-समय पर NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों में भी जिम्मेदारियां निभाई हैं.
सदानंद दाते ने इस तरह किया था आतंकवादियों से मुकाबला
जब 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया, तब सदानंद दाते मुंबई क्राइम ब्रांच में कार्यरत थे. जब सूचना मिली कि पाकिस्तानी आतंकवादी कामा हॉस्पिटल के पास हैं और वहां आम लोगों की जान खतरे में है, तो दाते बिना देर किए एक छोटी सी टीम लेकर मौके पर पहुंचे.
आतंकवादियों से आमने-सामने की मुठभेड़ में दाते ने बहुत बहादुरी से मुकाबला किया, जबकि उनके पास सीमित संसाधन थे. इस दौरान उन्हें गंभीर चोटें भी आईं, लेकिन उन्होंने कई अस्पताल कर्मियों और मरीजों की जान बचाई. सदानंद दाते को उनकी बहादुरी के लिए उन्हें बाद में राष्ट्रपति पदक गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
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