हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव खारिज, हुड्डा बोले- सरकार से जनता का भरोसा खत्म
Haryana News: हरियाणा विधानसभा में बीजेपी सरकार के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव खारिज हुआ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार पर विफलता का आरोप लगाया. साथ ही विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया.

हरियाणा विधानसभा में बीजेपी सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार (19 दिसंबर) को पांच घंटे की लंबी बहस के बाद खारिज कर दिया गया. इस दौरान विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर तीखा हमला बोला और बाद में सदन से बहिर्गमन कर दिया.
बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा की जनता इस सरकार से पूरी तरह तंग आ चुकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था चरमराई हुई है. बेरोजगारी अपने चरम पर है और किसान लगातार समस्याओं से जूझ रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इन मुद्दों पर संतोषजनक जवाब देने में असफल रहे हैं. हुड्डा ने मुख्यमंत्री से सीधे सवाल करते हुए कहा कि जब समाज के हर वर्ग में असंतोष है, तो सरकार आंखें मूंदे क्यों बैठी है.
हर मोर्चे पर पिछड़ रहा राज्य- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हुड्डा ने बीजेपी सरकार पर 'वोट चोरी' और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि यह सरकार जनमत से नहीं, बल्कि असंवैधानिक तरीकों और प्रलोभन के जरिए सत्ता में आई है. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि बीजेपी की नीतियां जनविरोधी हैं और कमजोर प्रशासन के चलते राज्य हर मोर्चे पर पिछड़ रहा है.
हरियाणा में जनता की दबाई जा रही आवाज- हुड्डा
कांग्रेस ने सदन में यह भी कहा कि मौजूदा सरकार 'असंवेदनशील' और 'अनुत्तरदायी' बन चुकी है. जिसके कारण जनता का भरोसा पूरी तरह टूट गया है. हुड्डा ने दावा किया कि सरकार ने लोकतंत्र को कमजोर करते हुए इसे 'तंत्रलोक' में बदल दिया है, जहां आम जनता की आवाज दबाई जा रही है.
हरिविंद्र कल्याण ने प्रस्ताव को किया खारिज
जानकारी के अनुसार, बहस के दौरान जब कांग्रेस सदस्यों ने सरकार के जवाबों से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया. तो संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा ने प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की, जिसे स्वीकार कर लिया गया. अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने ध्वनि मत से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने की घोषणा की.
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ यह पहला अविश्वास प्रस्ताव था. हालांकि इससे पहले कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में भी दो बार ऐसा प्रस्ताव ला चुकी है, जो सफल नहीं हो सका.
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