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Gujarat Election 2022: क्या बागी नेता बढ़ाएंगे बड़ी पार्टियों की मुश्किलें, 50 विधानसभा जहां 10 से ज्यादा उम्मीदवार एक सीट पर लड़ रहे चुनाव
Gujarat Elections News : गुजरात विधानसभा चुनाव में तीनों पार्टियों के बागी नेता चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं. करीब 50 ऐसे विधानसभा सीट हैं, जहां 10 से ज्यादे उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.
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Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान होने में 24 घंटे से भी कम समय रह गया है. इस बार के चुनाव में बड़ी पार्टियों के सिरदर्द का कारण बागी नेता बन रहे हैं. गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (BJP)पिछले 27 सालों से सत्ता में हैं. गुजरात चुनाव में 50 ऐसे विधानसभा सीट हैं, जहां 10 से ज्यादा उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी (AAP)ने इस बार मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
बीजेपी ने अपने कुल 19 बागी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. यह सभी नेता बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. गुजरात के तीनों प्रमुख पार्टियां अपने बागी उम्मीदवारों से परेशान दिख रहीं हैं. उन्हें डर है कि कहीं मतों का बंटवारा नहीं हो जाए .
1. मधु श्रीवास्तव
मधु बीजेपी के टिकट पर 5 बार के विधायक रह चुके हैं. उन्होंने अपने जीवन का सबसे पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. साल 1995 से ही वह वाघोडिया विधानसभा सीट से विधायक हैं. इस बार बीजेपी ने टिकट देने से इनकार किया तो उन्होंने निर्दलीय नामांकन पर्चा भरा है. इस सीट पर वह बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
2.धर्मेंद्र सिंह वाघेला
वाघेला वाघोडिया विधानसभा सीट पर बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. वह भी बीजेपी के बागी विधायक हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट कटने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, उन्हें केवल 50 हजार ही वोट मिले थे. इस बार के चुनाव में उन्हें पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद थी. हालांकि टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय ही नामांकन पर्चा भरा है.
3.दिनेश पटेल
वडोदरा डेयरी के चीफ दिनेश पटेल को पार्टी ने टिकट नहीं दिया है. उन्होंने भी पादरा विधानसभा सीट से निर्दलीय नामांकन पर्चा भर कर पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है. 2017 विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव हार गए थे. साल 2007 में वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीते भी थे.
4.अरविंद लडानी
गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के केसोड विधानसभा से अरविंद लडानी ने इस बार के चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लडानी पाटीदार समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. उनका कहना है कि वह पार्टी के लिए जान लगाकर मेहनत किए फिर भी पार्टी ने उन्हें नजरअंदाज किया.
5.धवल सिंह जाला
कांग्रेस से बीजेपी में आए धवल सिंह जाला का टिकट पार्टी ने काट दिया है. इसके बाद वह बयाड विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में आ गए हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने यह सीट जीती थी. इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे.
कांग्रेस पार्टी के बागी नेता
1. कामिनी बा राठौड़
कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद राठौड़ ने पहले निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनसे टिकट के लिए 50 लाख रुपए मांगे गए. पैसे नहीं देने पर उनका टिकट पार्टी ने काट दिया. थोड़े दिन पहले ही वह अपना नामांकन वापस लेकर बीजेपी में आ गई. अब वह कांग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार कर ही हैं.
2.जमनाबेन वेगडा
जमनाबेन हाल ही में वायरल एक ऑडियो के चलते विवादों में आ गई थी. कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बाहर का भी रास्ता दिखा दिया है. इसके बाद उन्होंने निर्दलीय नामांकन पर्चा भरा है. वह दानी लिंडा विधानसभा से चुनावी मैदान में है.
आम आदमी पार्टी के बागी नेता
1. कंचन जरीवाला
कंचन जरीवाल ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका अपहरण करके उनपर नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया गया है. इसके बाद उन्होंने सूरत पूर्व विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है.
2. वसंत खेतानी
आम आदमी पार्टी ने वसंत खेतानी को अबडासा विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था. हालांकि उन्होंने कुछ दिन पहले एक वीडियो जारी करके कहा कि मैं अपना नामांकन वापस ले रहा हूं. इस सीट पर उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार प्रद्युमन सिंह जडेजा को समर्थन देने की बात कही है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम)के बागी विधायक
1.सुहाना मंसूरी
गुजरात विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने केवल 14 ही सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इसके बाद भी उन्हें एक बागी नेता का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल वेजलपुर विधानसभा सीट से सुहाना मंसूरी चुनाव लड़ना चाहती थी. पार्टी द्वारा टिकट नहीं मिलने पर इन्होंने निर्दलीय नामांकन पर्चा भरा है.
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