Gujarat: 10, 20 और 50 रुपये के नोटों की भारी कमी! ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी बदतर
AIRBEA News: AIRBEA ने देश में 10, 20 और 50 रुपये के नोटों की भारी कमी पर चिंता जताई है. छोटे नोट न मिलने से आम लोग और छोटे कारोबारी परेशान हैं. संगठन ने RBI से तुरंत समाधान की मांग की है.

AIRBEA News: अखिल भारतीय रिज़र्व बैंक कर्मचारी एसोसिएशन (AIRBEA) ने देशभर में छोटे मूल्य की नोटों की भारी कमी को लेकर चिंता जताई है. संगठन का कहना है कि 10, 20 और 50 रुपये के नोट आम लोगों को आसानी से नहीं मिल पा रहे हैं. यह समस्या शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी देखी जा रही है. छोटे नोटों की कमी के कारण रोजमर्रा के लेनदेन में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
RBI को लिखा गया पत्र
AIRBEA ने इस मुद्दे पर भारतीय रिज़र्व बैंक को एक औपचारिक पत्र लिखा है. यह पत्र RBI के करेंसी मैनेजमेंट विभाग के प्रभारी डिप्टी गवर्नर टी. रवि शंकर को भेजा गया है. पत्र में कहा गया है कि देश के कई हिस्सों में छोटे मूल्य की नोटों की उपलब्धता लगभग नगण्य हो गई है, जबकि 100, 200 और 500 रुपये की नोटें आसानी से मिल रही हैं.
कर्मचारी संघ के अनुसार, एटीएम से निकलने वाली ज्यादातर नकदी उच्च मूल्य की होती है. बैंक शाखाएं भी ग्राहकों को जरूरत के अनुसार छोटे नोट नहीं दे पा रही हैं. इस स्थिति के कारण स्थानीय परिवहन, सब्जी खरीदने, किराने की दुकानों और अन्य रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नकद भुगतान करना मुश्किल हो गया है. खासकर बुजुर्गों, ग्रामीणों और दिहाड़ी मजदूरों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है.
छोटे कारोबार पर असर
AIRBEA ने कहा कि छोटे दुकानदार, ठेले वाले और स्थानीय व्यापारी इस कमी से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. ग्राहकों के पास खुले पैसे नहीं होने से लेनदेन में देरी होती है और कई बार सौदे ही रुक जाते हैं. संगठन ने यह भी कहा कि डिजिटल भुगतान बढ़ने के बावजूद नकद की जरूरत पूरी तरह खत्म नहीं हुई है.
कर्मचारी संघ का मानना है कि देश की बड़ी आबादी अब भी नकद लेनदेन पर निर्भर है. हर जगह डिजिटल भुगतान संभव नहीं है. नेटवर्क की समस्या, तकनीकी जानकारी की कमी और छोटे लेनदेन के कारण लोग अब भी नकद को प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में छोटे नोटों की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है.
समाधान के लिए दिए सुझाव
AIRBEA ने RBI से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है. संगठन ने सुझाव दिया है कि बैंकों और RBI काउंटरों से छोटे मूल्य की नोटों का पर्याप्त वितरण सुनिश्चित किया जाए. साथ ही, सिक्कों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए पहले की तरह “सिक्का मेले” आयोजित किए जाएं. ये मेले पंचायतों, सहकारी समितियों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से लगाए जा सकते हैं. संगठन को उम्मीद है कि इन कदमों से हालात जल्द सुधरेंगे.
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Source: IOCL





















