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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कंज्यूमर फोरम जा रहे हैं तो मत जाइए! नहीं मिल पाएगा न्याय

उपभोक्ता आयोग में शिकायत करने पर न्याय मिलता है इसके कई उदाहरण आप देख चुके होंगे, लेकिन अगर आप छत्तीसगढ़ के कंज्यूमर फोरम जा रहे हैं तो ये खबर जरूर पढ़ लीजिए.

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में उपभोक्ताओं को बार बार कंज्यूमर कमीशन में माथा टेकना पड़ रहा है. ऐसा इसलिए नहीं  कि उनको न्याय मिलने में देरी हो रही है. बल्कि इसलिए क्योंकि प्रदेश के अधिकांश उपभोक्ता आयोग (Consumer forum) में महीनों से अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पेडिंग पड़ी है. लिहाजा इस मामले को लेकर फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के लोगों ने आयोग के सामने तख़्तियां लेकर प्रदर्शन किया. 

इसलिए कंज्यूमर को नहीं मिल पा रहा है न्याय

प्रदेश के 32 में 27 ज़िलों में फ़िलहाल उपभोक्ता आयोग (Consumer forum) के न्यायालय संचालित हैं. इन 27 ज़िलों में एक एक अध्यक्ष और दो-दो सदस्य की नियुक्ति का प्रावधान है, लेकिन 27 में 22 ज़िलों में अध्यक्ष और सदस्य के पद क़रीब 20 महीनों से खाली पड़े हैं. दरअसल, महीनों पहले अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी यहां नियुक्ति नहीं हो सकी हैं. जानकारी के मुताबिक़, हर ज़िले में अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल का और सदस्य का कार्याकाल तीन साल का होता है.

हाईकोर्ट के जज की सूची को किया अनदेखा

फोरम फ़ॉर फ़ास्ट जस्टिस के सरगुजा ईकाई के अध्यक्ष डी.के. सोनी ने बताया कि उपभोक्ता आयोग में ख़ाली पड़े पदों के लिए 2021 में नियुक्ति के लिए आवेदन निकाले गए थे. इसके बाद प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जज ने 13 ज़िलों के कंडीडेट्स के इंटरव्यू करके, चयन सूची शासन को भेज दी थी. इसके आधार पर अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करनी थी, लेकिन शासन स्तर पर उस चयन सूची के मुताबिक 13 में से मात्र 5 ज़िलों में नियुक्तियां की गईं. बाकी जिलों के आयोगों को उसी हालत में छोड़ दिया गया है.

ग़ौरतलब है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया में सूमोटो (स्वंय से संज्ञान) लेते हुए. छत्तीसगढ़ शासन को 22 फ़रवरी 2022 को जल्द नियुक्ति करने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ. फिर सुप्रीम कोर्ट ने शासन पर डेढ़ लाख का जुर्माना लगा दिया था. शासन ने नियुक्ति करने के बजाय जुर्माना देना उचित समझा. छत्तीसगढ़ शासन ने 15 मार्च को डेढ़ लाख रूपया जुर्माना दे दिया. 

सरगुजा संभाग मुख्यालय समेत प्रदेश के कई ज़िलों में नियुक्ति नहीं होने से ठगे गए ग्राहकों को न्याय नहीं मिल पा रहा है. साथ ही कई मामलों में निर्णय होने के बाद भी चेक और फाइलें रूकी हैं. आलम ये है कि एक तरफ जहां आम उपभोक्ता के हजारों मामले उपभोक्ता आयोग (Consumer forum)में लंबित हैं. वहीं उन मामलो की पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं को भी काफ़ी मशक़्क़त  करनी पड़ रही है. दरअसल चर्चा ये है कि, नियुक्ति में लेट लतिफी का मुख्य कारण राजनैतिक खींचतान है. 

तख़्तियां लेकर प्रदर्शन

सरगुजा समेत प्रदेश के अधिकांश ज़िलों के उपभोक्ता मामलों के आयोग में नियुक्ति नहीं होने पर कई बार कलेक्टर, सीएम और पीएम को पत्र लिखे गए. इसके बाद भी 20 माह से बंद पड़े आयोग के दफ्तरों को देखते हुए, फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के अध्यक्ष डी.के. सोनी समेत कई अधिवक्ताओं और उपभोक्ताओं ने आज उपभोक्ता आयोग के सामने तख्तियों के साथ प्रदर्शन किया. जिसमें लिखा था “न्याय में देरी अन्याय है.”अध्यक्षों और सदस्यों की स्थायी नियुक्ति जल्दी हो.”20 माह से बंद पड़े उपभोक्ता आयोग को चालू करो.”

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