बाइक टैक्सी बैन: Motor Vehicles Act 1988 में किन संशोधनों की ज़रूरत है, जानें | FYI
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दिल्ली सरकार ने प्राइवेट बाइक टैक्सी के संचालन को पूरी तरह बैन कर दिया है। क्यों हुआ है ये बैन और आखिर मोटर व्हीकल्स एक्ट का कैसे ये उल्लंघन कर रहा है जानेंगे आज FYI में abp Live Podcasts पर। मैं मानसी हूँ आपके साथ और मेरे साथ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विराज कदम। दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने 21 फरवरी को एक नोटिस जारी कर कहा कि दिल्ली में बिना कमर्शियल लाइसेंस के चल रही ऐप बेस्ड प्राइवेट बाइक टैक्सी के चलने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। दिल्ली में हर हफ्ते बाइक टैक्सियों पर 5 लाख से 7.5 लाख लोग चलते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, उबर में सभी यात्राओं का लगभग पांचवां हिस्सा बाइक टैक्सी का होता है, जो ज्यादातर 10 किलोमीटर से कम दूरी के छोटे आवागमन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से ओला, उबर और रैपिडो के साथ लगभग 90,000 एक्टिव मासिक बाइक राइडर हैं। इनमें आय के अतिरिक्त स्रोत की तलाश करने वाले युवा शामिल हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने महामारी के दौरान नौकरी खो दी है और अन्य जो पार्ट-टाइम काम के रूप में ऐसा करते हैं। और ऐसे में बाइक टैक्सी का बैन हो जाना बाइक राइडर और इनसे सफर करने वाले दोनों ही लोगों के लिए काफी शॉकिंग है। और उससे भी बड़ा शॉक आपको ये जानके लगेगा की जिस मोटर व्हीकल एक्ट की वजह से इसे बैन किया गया है उसमें खुद काफी संशोधन की ज़रूरत है। तो चलिए बात करते हैं अधिवक्ता विराज कदम से।























