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Gurdwara Darbar Sahib Kartarpur का क्या है महत्व, कब बना, जानें यहां सबकुछ
Kartarpur Sahib
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![करतारपुर साहिब सिखों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है. कहा जाता है कि यह सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव का निवास स्थान था. गुरु नानक देव जी ने य़हां अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष गुजारे थे और यही पर ज्योति में समा गए थे. बाद में उनकी याद में यहा पर गुरुद्वारा निर्मित किया गया था. करतारपुर गलियारा खोले जाने से पहले श्रद्धालु गुरुद्वारे के दर्शन दूरबीन से किया करते थे.](https://cdn.abplive.com/imagebank/default_16x9.png)
करतारपुर साहिब सिखों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है. कहा जाता है कि यह सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव का निवास स्थान था. गुरु नानक देव जी ने य़हां अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष गुजारे थे और यही पर ज्योति में समा गए थे. बाद में उनकी याद में यहा पर गुरुद्वारा निर्मित किया गया था. करतारपुर गलियारा खोले जाने से पहले श्रद्धालु गुरुद्वारे के दर्शन दूरबीन से किया करते थे.
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![करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोबाल जिले में स्थित है. भारत के बॉर्डर से यह स्थान सिर्फ 3 किमी और लाहौर से तकरीबन 120 किमी दूर है.](https://cdn.abplive.com/imagebank/default_16x9.png)
करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोबाल जिले में स्थित है. भारत के बॉर्डर से यह स्थान सिर्फ 3 किमी और लाहौर से तकरीबन 120 किमी दूर है.
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![सिखों के इतिहास के अनुसार गुरुनानक देवजी अपनी 4 प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में करतारपुर साहिब में आकर रहने लगे थे.](https://cdn.abplive.com/imagebank/default_16x9.png)
सिखों के इतिहास के अनुसार गुरुनानक देवजी अपनी 4 प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में करतारपुर साहिब में आकर रहने लगे थे.
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![कहा जाता है कि करतारपुर में गुरुनानक देव जी का पूरा परिवार आकर बस गया था. उनके माता-पिता ने भी यही देह का त्याग किया था. करतारपुर में नानक साहिब द्वारा सिख धर्म की स्थापना की गई थी.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/11/17/96ca79d77604a800949aff870dffbed1935d9.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
कहा जाता है कि करतारपुर में गुरुनानक देव जी का पूरा परिवार आकर बस गया था. उनके माता-पिता ने भी यही देह का त्याग किया था. करतारपुर में नानक साहिब द्वारा सिख धर्म की स्थापना की गई थी.
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![करतारपुर में रावी नदी के किनारे सिखों के लिए उन्होंने एक शहर बसाया और यहीं पर खेती कर नाम जपो, किरत करो और वंड छको का उपदेश भी दिया था.](https://cdn.abplive.com/imagebank/default_16x9.png)
करतारपुर में रावी नदी के किनारे सिखों के लिए उन्होंने एक शहर बसाया और यहीं पर खेती कर नाम जपो, किरत करो और वंड छको का उपदेश भी दिया था.
Published at : 17 Nov 2021 06:23 PM (IST)
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उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारCommentator
Opinion