केरल की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने आज पुष्टि की है कि कोच्चि के एक अस्पताल में भर्ती 23 वर्षीय कॉलेज छात्र निपाह वायरस से पीड़ित है. उन्होंने बताया कि पुणे स्थित राष्ट्री य विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) में छात्र के ब्ल्ड सैंपल्स की जांच की गई जिसमें निपाह की पुष्टि हुई है. सभी फोटोः गूगल फ्री इमेज
डॉ. के.के. अग्रवाल के मुताबिक, इस बीमारी के लिए अभी कोई टीका या दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है. निपाह वायरस के इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है. वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
निपाह वायरस से बचने का सबसे सुरक्षित उपाय ये है कि आप सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खाते हैं वह चमगादड़ या उनके मल से दूषित नहीं है.चमगादड़ के कुतरे फलों को खाने से बचें, पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी पीने वाली शराब पीने से बचें, बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में आने से बचें. अपने हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छ करें और धोएं, आमतौर पर शौचालय के बाल्टी और मग, रोगी के लिए उपयोग किए जाने वाले कपड़े, बर्तन और सामान को अलग से साफ करें. ताड़ी और जमीन पर पड़े फलों का सेवन करने से बचें.
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल के मुताबिक, क्लीनिकल रूप से, निपाह वायरस के इंफेक्शन के लक्षणों की शुरुआत एन्सेफेलेटिक सिंड्रोम से होती है, जिसमें बुखार, सिरदर्द, उल्टी, सूजन, विचलित होना और मानसिक भ्रम शामिल हैं. इंफेक्टिड व्यक्ति 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में जा सकता है. निपाह वायरस लोगों के दिमाग को नुकसान पहुंचाता हैं जिससे की मौत हो सकती है.
ऐसी स्थिति में आपको ये जानना बहुत जरूरी है कि आखिर क्या है निपाह वायरस, इसके लक्षण और इससे आप कैसे बच सकते हैं.
यह रोग 2001 में और फिर 2007 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भी सामने आया था. निपाह वायरस की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी.
ये खबर शोध और एक्सपर्ट की के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल एडवाइजरी जारी करते हुए लिखा था कि बीमारी के कारण मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार सरकारी सलाह के अनुसार करना चाहिए और इस भावुक क्षण के दौरान बीमारी को परिवार के सदस्यों तक फैलने से रोकने के लिए विधि विधानों में बदलाव करने चाहिए.
निपाह बुखार के बाद मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को कवर करना महत्वपूर्ण है. मृत व्यक्ति को गले लगाने या चुंबन करने से बचें.
निपाह एन्सेफेलाइटिस की मृत्यु दर 9 से 75 प्रतिशत तक है. निपाह वायरस इंफेक्शन के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है. उपचार का मुख्य आधार बुखार और तंत्रिका संबंधी लक्षणों पर केंद्रित है. इंफेक्शन नियंत्रण उपाय महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि व्यक्तिगत रूप से ट्रांसमिशन हो सकता है. गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को गहन देखभाल की आवश्यकता है.
निपाह वायरस के सामान्य लक्षणों की बात करें तो इनमें बुखार, सिर दर्द, बेहोशी और मतली शामिल है. कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान और निगाह का धुंधलापन महसूस हो सकता है. लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं इंसेफेलाइटिस के इंफेक्शन की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है. ये वायरस जब इंसानों में इसका इंफेक्शन होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है.
निपाह वायरस स्वाभाविक रूप से चमगादड और सुअर जैसे जानवरों से मनुष्यों तक फैलता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, चमगादड़, सूअर, कुत्ते, घोड़ों जैसे जानवरों में फैलने वाला निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है और इससे कई बार मनुष्यों को गंभीर बीमारी भी हो सकती है.
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