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इलाहाबाद हाईकोर्ट से बीएसपी सुप्रीमो मायावती को मिली बड़ी राहत, पीआईएल खारिज
यूपी की पूर्व सीएम और बीएसपी सुप्रीमो मायावती को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. मायावती को यह राहत ग्रेटर नोएडा के बादलपुर गांव में अधिग्रहीत की गई किसानों की ज़मीन के मामले में मिली है.

इलाहाबाद: यूपी की पूर्व सीएम और बीएसपी सुप्रीमो मायावती को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. मायावती को यह राहत ग्रेटर नोएडा के बादलपुर गांव में अधिग्रहीत की गई किसानों की ज़मीन के मामले में मिली है. अदालत ने ज़मीन का अधिग्रहण रद्द किये जाने और पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल पीआईएल को खारिज कर दिया है. अदालत ने इसके साथ ही इस मामले में पहले से ही दाखिल दो और जनहित याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है. अदालत ने यह सभी अर्जियां तकरीबन बारह साल की देर होने और पीड़ितों के बजाय बाहरी लोगों द्वारा केस दाखिल किये जाने की वजह से खारिज की हैं. अर्जियां खारिज होने से मायावती को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि हाईकोर्ट ने पिछले साल इस मामले में पूर्व सीएम के साथ ही उनके पिता व भाई समेत परिवार के दूसरे सदस्यों को भी नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया था. विधानसभा में विपक्ष का जोरदार हंगामा, कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर साधा निशाना चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा खारिज की गई अर्जियों में कहा गया था कि मायावती ने साल 2005 और 2006 में गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के तहत आने वाले अपने पैतृक गाँव बादलपुर में कुछ ज़मीनें खरीदीं और उनकी पावर आफ एटार्नी अपने पिता प्रभु दयाल व भाई आनंद कुमार को दे दी. 47 हजार 433 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल की जो ज़मीन खरीदी गई, वह सरकारी रिकार्ड में खेती की ज़मीन थी और उस पर कोई निर्माण नहीं हो सकता था. मायावती के पिता व भाई की अर्जी पर दादरी तहसील के एसडीएम ने 30 मई 2006 को यह ज़मीन कृषि से बदलकर आबादी की ज़मीन में ट्रांसफर कर दी. आरोप यह लगाया गया है कि एसडीएम ने यह फैसला दबाव में लिया था. हंगामे के बीच सरकार ने पेश किया अनुपूरक बजट, विपक्ष ने की जोरदार नारेबाजी ज़मीन की रजिस्ट्री में भी हेराफेरी का आरोप है. आरोप लगाया गया है कि रजिस्ट्री जिस तारीख को हुई है, उसमे लगे स्टैम्प एक दिन बाद खरीदे गए हैं. साल 2007 में मायावती के सीएम बनने के बाद बादलपुर गाँव में मायावती के बंगले के आसपास की सारी ज़मीनों को ग्रेटर नोएडा डेवलपमेंट अथारिटी के लिए अधिग्रहण किया गया, लेकिन मायावती व उनके परिवार की ज़मीन का अधिग्रहण नहीं किया गया. किसानों की जिन ज़मीनों का अधिग्रहण किया गया, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने उनमें सरकारी खर्च पर ग्रीन बेल्ट बना दी थी. इन दो घटनाओं से दहल गया था मुजफ्फरनगर, पुलिस ने आरोपियों को किया गिरफ्तार याचिकाकर्ता संदीप भाटी की पीआईएल में आरोप लगाया गया कि इस बारे में कई जगहों पर शिकायत की गई, लेकिन हाई प्रोफ़ाइल मामला होने की वजह से कहीं भी कार्रवाई नहीं की गई. एक आरोप यह भी है कि ज़मीन की रजिस्ट्री कराने से लेकर उसका नेचर बदलने में जो भी अधिकारी शामिल थे, मायावती के सीएम बनने के बाद उन्हें अच्छे पद दिए गए. पीआईएल के ज़रिये पूरे मामले की सीबीआई जांच कराए जाने और दादरी के एसडीएम के बारह साल पुराने आदेश को रद्द किये जाने की भी अपील की गई. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत की डिवीजन बेंच में हुई. अदालत ने देरी व इसमें कोई जनहित न होने के आधार पर अर्जियों को खारिज कर दिया.
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Source: IOCL























