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चन्द्र ग्रहण जुलाई 2020: चन्द्र ग्रहण कब, कैसे और कितने प्रकार से लगता है? जानें विस्तार से

5 जुलाई को लगने वाला चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है. आइये जानें और कितने प्रकार का होता है चंद्र ग्रहण.

Chandra Grahan 2020: आज गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला यह उपछाया चन्द्र ग्रहण सुबह 8:37 बजे से शुरू होकर सुबह 11:22 बजे तक चलेगा. यह उपछाया चन्द्र ग्रहण 2 घंटे 43 मिनट और 24 सेकंड तक के लिए ही लगेगा. अब आईए यह जानें कि यह चन्द्र ग्रहण कब, कैसे और कितने प्रकार से लगता है.

चन्द्र ग्रहण कब लगता हैजिस प्रकार से सूर्य ग्रहण केवल अमावस्या के दिन ही लगता है ठीक उसी प्रकार से चन्द्र ग्रहण भी केवल पूर्णिमा के दिन ही लगता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्रग्रहण नहीं लगता है. इसका कारण यह है कि पृथ्वी की कक्षा पर चन्द्रमा की कक्षा करीब 5 अंश झुका हुआ है जिसके कारण हर पूर्णिमा को पृथ्वी की छाया में चन्द्रमा प्रवेश नहीं करता है. या इसे इस  प्रकार भी कह सकते हैं कि जिस पूर्णमासी को सूर्य और चन्द्रमा दोनों के अंश, कला और विकला पृथ्वी के समान होते हैं केवल उसी पूर्णमासी को चन्द्र ग्रहण लगता है.

 चन्द्र ग्रहण कैसे लगता है? खगोलशास्त्रियों के अनुसार चंद्र ग्रहण  एक साधारण घटना है क्योंकि सौर परिवार के सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर और उपग्रह अपने ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं. इसका मतलब यह है कि सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी और पृथ्वी के चारों तरफ चन्द्रमा चक्कर लगाते-लगाते सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा जब एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ने लगती है. तब इस स्थिति में चन्द्र ग्रहण होता है.

चंद्र ग्रहण कितने प्रकार का होता है ?

खगोलशास्त्रियों के अनुसार चंद्र ग्रहण में तीन प्रकार की स्थितियां आती हैं या मानी जाती हैं-

  1. पूर्ण चंद्र ग्रहण- जिस समय सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया जब चन्द्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है तब उस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है. पूर्ण चंद्र ग्रहण के होने पर चन्द्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई देता है. जिसे सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है.
  2. आंशिक चंद्र ग्रहण- इस प्रकार के चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की छाया पूर्ण रूप से चन्द्रमा पर न पड़कर केवल आंशिक रूप में पड़ती है.
  3. उपछाया चंद्र ग्रहण- उपछाया चंद्र ग्रहण को पेनुमब्रल भी कहते हैं. क्योंकि इस प्रकार के ग्रहण में पृथ्वी के बीच या मध्य भाग की छाया (अंब्र) चन्द्रमा पर नहीं पड़ती है बल्कि केवल पृथ्वी के बाहरी भाग (पेनंब्र) की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है. इस प्रकार के चंद्र ग्रहण में चन्द्रमा धुंधला दिखाई देता है और चन्द्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं दिखाई देता है.                   
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