बेंगलुरु में रहने वाले सावधान! गर्मी के साथ होने लगी पानी की किल्लत, CM ने इस राज्य से मांगी मदद
Water Crisis in Karnataka: कर्नाटक के बेंगलुरु में पानी की बहुत कमी हो रही है. पानी की कमी को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने महाराष्ट्र सरकार से मदद मांगी है.

Water Crisis in Bengaluru: कर्नाटक के बेंगलुरु में पानी का संकट दिखता हुआ नजर आ रहा है. इस स्थिति को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने महाराष्ट्र से मदद करने की अपील की है. मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कर्नाटक में पानी के गहराते संकट का जिक्र करते हुए वामा/कोयना जलाशय से कृष्णा नदी और उज्जनी जलाशय से भीमा नदी में पानी छोड़ने के लिए अनुरोध किया है.
मार्च से ही पीने के पानी की गंभीर कमी
सीएम सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री फडणवीस को संबोधित करते हुए पत्र में कहा कि उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी, विजयपुरा, बागलकोट, कलबुर्गी यादगिरी और रायचूर जिले मार्च की शुरुआत से ही पीने के पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं. पहले भी गर्मी के मौसम में महाराष्ट्र सरकार ने लोगों और पशुओं की पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए कृष्णा नदी से पानी छोड़ने के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी. कर्नाटक सरकार महाराष्ट्र राज्य को हार्दिक धन्यवाद देती है.
बढ़ते तापमान से स्थिति हो रही गंभीर
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में बढ़ते तापमान के साथ स्थिति और भी खराब होती जा रही है और हिप्पारागी बैराज और अन्य स्थानीय जलाशयों में मौजूदा भंडारण स्तर 2025 में मानसून के मौसम की शुरुआत तक कृष्णा बेसिन क्षेत्रों के उत्तरी कर्नाटक जिलों की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं, इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप संबंधित अधिकारियों को वार्ना/कोयना जलाशय से कृष्णा नदी में कम से कम 2.00 टीएमसी पानी और उज्जिनी जलाशय से भीमा नदी में 1.00 टीएमसी पानी छोड़ने का निर्देश दें, ताकि कर्नाटक के उत्तरी जिलों के मनुष्यों और पशुओं दोनों की तत्काल पेयजल जरूरतों को पूरा किया जा सके.
पिछले साल भी हुई थी किल्लत
बता दें कि गर्मी की शुरुआत के पहले से ही कर्नाटक के बेंगलुरु में पीने के पानी का संकट बढ़ने लगा था. पिछले साल गर्मी में हुई पानी की किल्लत को देखते हुए बीते दिनों बेंगलुरु वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड ने वाहन धोने और सिंचाई जैसे गैर-जरूरी कामों के लिए पीने के पानी का इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी.
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