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1992 के बाद निर्माण कार्य कभी रुका ही नहीं, दो मंजिला बनेगा राम मंदिर- विश्व हिंदू परिषद

विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत की. इसमें उन्होंने कहा कि 1992 के बाद से मंदिर निर्माण का काम कभी रुका ही नहीं है. उन्होंने कहा कि मंदिर को लेकर पिछले दो दशक से एक कार्यशाला लगातार काम कर रही है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई समाप्त होने के साथ ही विश्व हिंदू परिषद सक्रिय हो गया है. विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार की मानें तो 1992 के बाद से मंदिर निर्माण का कार्य कभी रुका ही नहीं. वह निरंतर चल रहा है. एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण को लेकर एक कार्यशाला अयोध्या में पिछले दो दशक से लगातार काम कर रही है.

यही नहीं आलोक कुमार ने दो टूक शब्दों में कहा राम जन्मभूमि में ही मंदिर निर्माण होगा और उसको लेकर मुसलमानों से बातचीत की सभी संभावनाएं समाप्त हो चुकी हैं. अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार है.उन्हें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए उनके ही पक्ष में निर्णय देगा.

हमारा दावा मजबूत है- आलोक कुमार

इसके साथ ही वीएचपी नेता ने विस्तार से मंदिर निर्माण की भावी योजनाओं पर बात की. उन्होंने कहा, ''मैंने इस मुकदमे का बहुत गहन अध्ययन किया है. वकील के नाते इस बहस के प्रवाह को भी देखा है. हमारा दावा मजबूत है. इसके पक्ष में हम पर्याप्त प्रमाण जुटा पाए. देश के वरिष्ठ वकीलों ने बड़ी साधना करके इस पर बहस की है. मुझे अगर दिखता नहीं. मुझे लगता है कि हमारी विजय सुनिश्चित है. हम इसमें अगर मगर की कोई संभावना नहीं देखते.’’

इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया था. इस लिए सारी जमीन हिंदू समाज को मिलेगी और वहां पर भव्य मंदिर का निर्माण होगा. हम उसकी तैयारी में हैं.

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खंभे तराश कर तैयार हो चुके हैं- आलोक कुमार

आलोक कुमार ने कहा कि 1992 के बाद मंदिर निर्माण का काम एक दिन भी रुका नहीं. हमारी वहां बहुत बड़ी कार्यशाला है . उस कार्यशाला में पहली मंजिल और दूसरी मंजिल में जो खंभे लगने हैं. वह सब तराशे जा रहे हैं और तराश कर तैयार भी कर लिए गए है. एक खंभे को तराशने में करीब 30 दिन लगते हैं. पहली और दूसरी मंजिल पर लगने वाले पूरे खंबे तराश कर तैयार हो चुके हैं.

आलोक कुमार ने कहा, ‘’लेकिन अभी यह कहना मुश्किल है कि कितने दिन में निर्माण होगा. आदेश आने के बाद 6 से 7 महीने में कागजी औपचारिकताएं पूरी करने में लगेंगे. उसके बाद तीन-चार साल लग जाएंगे निर्माण करने में. ऐसा हम मानते है कि निर्णय आने के बाद देर नहीं लगेंगे.’’ उन्होंने बताया कि सबकी कोर्ट में आस्था है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करने की मनःस्थिति भी हिन्दू और मुसलमानों में बन चुकी है.

मध्यस्थता के सवाल पर आलोक कुमार बताते हैं कि जब मध्यस्थता की बात चल रही थी तब एक प्रस्ताव आया था कि मुसलमानों को जमीन का एक बड़ा हिस्सा दे दिया जाये. जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा हो. जैसे लखनऊ या ऐसे किसी जिले में. लेकिन जमीन तो हमारे पास है नहीं. वो तो सरकार को देना है. अगर सरकार देना चाहती है तो दे सकती है. उसमें हमें या संतो को कोई आपत्ति नहीं.

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मंदिर दो मंजिला होगा- आलोक कुमार

मंदिर संचालन पर किसका आधिपत्य होगा के सवाल पर आलोक कुमार ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद मंदिर के संचालन को लेकर चिंतित नहीं हैं. हम मंदिर चलाएं उसका चढ़ावा हम स्वीकार करें ऐसा नहीं होने वाला है. हमारा केवल एक आग्रह है यह पूरी लड़ाई राम जन्मभूमि न्यास ने लड़ी है. उसी ने देशभर से सिलाएं मंगाई है. वही कार्यशाला चला रहा है तो मंदिर का निर्माण राम जन्मभूमि न्यास ही करेगा. उस नक्शे के आधार पर करेगा जो नक्शा देश भर में हम प्रसारित करते रहे हैं. आलोक कुमार ने कहा कि स्वामी तो स्वयं रामलला होंगे. कौन मैनेज करेगा उसका चढ़ावा का क्या होगा यह सब बातें मिलकर तय की जा सकती है. सरकार भी इस पर विचार कर सकती है. इसकी जो व्यवस्था बनेगी विश्व हिंदू परिषद को बनाने में सहयोग करेगा. मंदिर दो मंजिला होगा. राम के साथ हनुमान और राम का परिचय कराने वाले भगवान वाल्मीकि भी वहां विराजमान होंगे.

मध्यस्थता की सवाल पर बोले अब मुसलमानों के साथ बैठने की कोई गुंजाइश नहीं है. चंद्रशेखर जब प्रधानमंत्री थे तो वह वार्ता छोड़कर बीच में चले गए. गुजराल जब प्रधानमंत्री थे तब वह वार्ता बीच मे छोड़ कर चले गए. इस मध्यस्थता के एफर्ट की जो बात की जा रही है. उसमें मुझे थोड़ा शक है. मुझे लगता है कि मध्यस्थता की बात कहकर इस पूरे मामले को भटकाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है.

राम की मर्यादा को समझे मुसलमान

आलोक कुमार ने कहा कि इस देश के मुसलमान अधिकांश हिंदू ही थे. कोई भगवान को माने या ना माने लेकिन जीवन में भाई कैसा हो सकता है, पिता कैसा हो सकता, पुत्र कैसा हो सकता है, पति कैसा हो सकता है, जीवन में जो मर्यादा दिए हैं राम उसके प्रतीक हैं. उनकी मर्यादा को मुसलमानों को समझना चाहिए. आने वाले समय में हिंदू और मुसलमानों के बीच में अच्छे संबंध होंगे.

राम मंदिर को लेकर लंबे संघर्ष पर वीएचपी नेता ने कहा कि हमने लंबी लड़ाई लड़ी है. इसमें कोई शक नही. ये लड़ाई करीब 500 साल की है. 23- 24 पीढ़ियां खप गईं.  इस बात से सहमत हूं कि यह बहुत पहले खत्म होना चाहिए था. अनेकों बलिदान हुए है. लेकिन अब वक्त आ गया है. उन्होंने कहा कि इतिहास पर गौर करें तो पता चलता है कि मंदिर को तोड़ना और उस पर 300 से ज्यादा मस्जिद बनाना इससे हिंदू मन को बहुत आहत हुआ है. हिंदू मुसलमानों के संबंधों पर एक गहरा असर हुआ है.

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कारसेवकों की उत्तेजना से टूटा मस्जिद का गुम्बद

1992 में हमने मस्जिद के गुंबद को तोड़ा है यह सच नहीं है. लेकिन यह जरूर सच है कि जो कारसेवक वहां आए थे उन्हें हमने बुलाया था. लेकिन मैं आपसे कहूं कि देश के 3000 धर्म स्थानों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई. क्या यह घटना उत्तेजना देने वाली नहीं है. अगर दो या तीन जगह जैसे सोमनाथ, राम जन्मभूमि, यहां पर वह सब वापस आता है. तो हिंदुओं को सहज लगता है कि हां सब ठीक हो गया.

आलोक कुमार ने कहा कि 1992 की घटना पॉलिटिकल नहीं थी. एक आध्यात्मिक आंदोलन था. अगर एक पार्टी ही हिंदू के लिए बोलेगी तो उसको उस पार्टी को हिंदुओं का प्रेम मिलेगा. आज क्या हो रहा है आज तो सब पार्टियों के लोग बता रहे हैं कि वह जनेऊ पहनते हैं. अपने को हिंदू बता रहे हैं. मैं साफ कहता हूं कि वह बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आंदोलन नहीं था. लेकिन बीजेपी ने मनहपूर्वक सहयोग किया इसलिए उनको लाभ मिलना स्वाभाविक था. यह मुसलमानों खिलाफ आंदोलन नहीं है.

वीएचपी नेता ने कहा, ‘’मैं कांग्रेस को और दूसरी पार्टी को उत्तर नहीं देना चाहता लेकिन मैं एबीपी के माध्यम से देश को उत्तर देना चाहता हूं. हमको मुस्लिम विरोधी बनाना यह राजनीतिक पार्टियों के फायदे का विषय है. लेकिन मुसलमान भी वोट बैंक नहीं बनने वाला. मुसलमानों को वोट बैंक की तरह ही देखा गया.’’

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मुसलमानों को मकड़जाल से बार निकलना चाहिए- आलोक कुमार

आलोक कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में मायावती कहती थीं कि 100 से ज्यादा मुसलमानों को हमने टिकट दिया है. सब मुसलमान हम को वोट दें मैं यह कहना चाहता हूं मुसलमानों की चार बड़ी जातियों को छोड़कर मुसलमानों की भी जातियां हैं उनमें बहुत पिछड़ापन है. मुस्लिम लीडरशिप में अपने वेस्टेज इंटरेस्ट के कारण उन्हें पीछे ही रखा. अब समय आ गया है उन्हें भी शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार सबको मिलना चाहिए. और मुसलमानों को भी मकड़जाल से बाहर निकलना चाहिए. मुसलमानों को दो प्रवित्ति से बाहर आना होगा. पहला कि हम इस देश के शासक थे और दूसरा उन्हें इस बात का विश्वास करना होगा कि इस भारत के गणतंत्र में वो बराबर के हिस्सेदार हैं. न ज्यादा है, न कम है.

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