उपराष्ट्रपति नायडू बोले- न्याय तुरंत नहीं हो सकता, लेकिन न्याय देने में देरी भी नहीं होनी चाहिये
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ मामलों जैसे चुनाव याचिकाओं और मौजूदा सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में टाइम बॉन्ड का खयाल करके फैसला दिए जाने की जरूरत है.

नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि न्याय तुरंत नहीं हो सकता लेकिन न्याय देने में लगातार देरी भी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि न्याय में देरी होने से लोग अशांत हो जाएंगे और कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करेंगे. एक कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ मामलों जैसे चुनाव याचिकाओं और मौजूदा सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में टाइम बॉन्ड का खयाल करके फैसला दिए जाने की जरूरत है.
हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार-हत्या की घटना और इसके चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना के बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे की टिप्पणी के एक दिन बाद उपराष्ट्रपति ने यह बात कही.
इससे पहले सीजेआई ने कहा था, ''हाल की घटनाओं ने एक पुरानी बहस को नई मजबूती से दोबारा छेड़ दिया है. इस बात पर कोई शक नहीं है कि क्रिमिनिल जस्टिस सिस्टम को अपनी स्थिति के बारे में दोबारा विचार करना चाहिए, इस बात पर विचार करना चाहिए कि किसी मामले को निपटाने में कितना टाइम लग रहा है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि न्याय कभी भी त्वरित हो सकता है या होना चाहिए. न्याय को कभी बदले का रूप नहीं लेना चाहिए. अगर न्याय बदले का रूप ले ले तो वो न्याय नहीं है.''
चीफ जस्टिस अरविंद बोबडे ने कहा- बदले की भावना से किया गया न्याय, न्याय नहीं है
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