हमने व्यवस्था से जड़ता को तोड़ा, सामाजिक-आर्थिक बदलाव के प्रयासों के मूल में विज्ञान- पीएम मोदी
वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए भाग लेते हुए पीएम मोदी ने ये बात कही. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने शोध को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार ने विज्ञान को सामाजिक और आर्थिक बदलावों की दिशा में अपने प्रयासों के मूल में लाने के लिए व्यवस्था से जड़ता को तोड़ने का काम किया. साथ ही उन्होंने भारतीय मूल के प्रवासी शिक्षाविद और वैज्ञानिकों से ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान से जुड़ने का आह्वान भी किया.
गांधी जयंती के दिन वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने ये बातें कहीं. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान, शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए है.
भारत में विज्ञान के समृद्ध इतिहास को विस्तार देने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि पिछली शताब्दियों में विज्ञान की मदद से कई ऐतिहासिक सवालों का समाधान भी निकाला गया है.
आत्मनिर्भर अभियान को साकार करने के लिए सबका समर्थन हो
आत्मनिर्भर भारत अभियान के आह्वान में वैश्विक कल्याण की भावना के समाहित होने की बात करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘विज्ञान, सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन की दिशा में हमारे प्रयासों के मूल में है. हमने व्यवस्था से जड़ता को तोड़ा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर अभियान के सपने को साकार करने के लिए, मैं आप सभी को आमंत्रित करता हूं और समर्थन मांगता हूं.’’
विज्ञान, शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकरी देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में दूरगामी सुधारों को मंजूरी दी है. ये सुधार उद्योग जगत के साथ ही शैक्षणिक समुदाय को भी अवसर प्रदान करते हैं.’’
शोध को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए गए
पीएम मोदी ने विज्ञान को सामाजिक और आर्थिक बदलाव के प्रयासों का महत्वपूर्ण अंग बताते हुए कहा कि उनकी सरकार किसानों को अच्छे उत्पादन के लिए अव्वल दर्जे का वैज्ञानिक अनुसंधान उपलब्ध कराना चाहती है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने विज्ञान, अनुसंधान और शोध को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अपने किसानों की मदद के लिए हम अव्वल दर्जे का वैज्ञानिक अनुसंधान चाहते हैं. हमारे कृषि अनुसंधान वैज्ञानिकों ने दाल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की है. हम बहुत कम मात्रा में दाल का आयात कर पाते हैं. हमारा अन्न उत्पादन रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचा है.’’ उन्होंने कहा कि 2014 में देश के टीकाकरण कार्यक्रम में चार नए टीके शामिल किए गए, जिनमें एक टीका रोटा वायरस से सम्बद्ध था जो देश में विकसित किया गया. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वदेशी टीका उत्पादन को बढ़ावा दिया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने हाल ही में देश में विकसित न्यूमोकोक्कल वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन की मंजूरी प्रदान की. उन्होंने कहा कि इन टीकों और पोषण मिशन की बदौलत बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण का वांछनीय स्तर प्राप्त हुआ है.
पीएम मोदी ने कहा कि यह सम्मेलन भारत और दुनिया के अन्य देशों के नामचीन लोगों को एक मंच पर लेकर आया और सही मायने में यह दुनिया भर के लोगों का उत्कृष्ट संगम है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत में शोध को बेहतर बनाने के लिए आप सभी ने कई अच्छे सुझाव दिए हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि यह सम्मेलन बहुत उपयोगी साबित होगा.’’
इस सम्मेलन के बारे में जानें
यह सम्मेलन विदेशी और स्थानिक भारतीय शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों का एक वैश्विक शिखर सम्मेलन है और इसका आयोजन 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2020 तक के लिए किया जा रहा है.
इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक विकास के लिए भारत में शैक्षणिक और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधार को मजबूत बनाने के लिए एक सहयोगी तंत्र पर विचार-विमर्श के लिए दुनिया भर के शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास संगठनों में शामिल भारतीय मूल के दिग्गजों को एक मंच पर लाना है.
इसमें विदेशी विशेषज्ञों और भारतीय समकक्षों के बीच वेबिनार, वीडियो कॉन्फ्रेंस आदि के माध्यम से एक माह तक चलने वाली श्रृंखला में कई स्तरों पर किए जाने वाले वार्तालाप सत्र शामिल हैं. शिखर सम्मेलन में 55 देशों के 3000 से अधिक भारतीय मूल के प्रवासी शिक्षाविद और वैज्ञानिक और 10 हजार से अधिक स्थानिक शिक्षाविद और वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं.
पूरे अक्टूबर माह के दौरान चलने वाले इस शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के नेतृत्व में करीब 200 शैक्षणिक संस्थानों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों द्वारा किया जा रहा है. शिखर सम्मेलन के दौरान, 40 देशों के 1500 से अधिक वार्ताकार, 200 अग्रणी भारतीय अनुसंधान और विकास एवं शैक्षणिक संस्थान, 200 से अधिक विचार-विमर्श सत्रों में 18 विभिन्न क्षेत्रों और 80 विषयों पर चर्चा करेंगे. इस शिखर सम्मेलन का समापन सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर 2020 को किया जाएगा.
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Source: IOCL





















