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गवर्नर के लौटाये 10 बिल विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित, एमके स्टालिन बोले- गैर-बीजेपी राज्यों को परेशान कर रहा केंद्र
Tamil Nadu: राज्यपाल की ओर से DMK सरकार को लौटाये गए 10 बिलों को एक बार फिर से विधानसभा के विशेष सत्र में सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई.
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Tamil Nadu Governor Row: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सख्त रुख अपनाये जाने के बाद तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि (Governor RN Ravi) की ओर से लंबित 10 विधेयकों को बिना मंजूरी दिए डीएमके (DMK) सरकार को वापस लौटा दिया गया था. इन सभी 10 विधेयकों को शनिवार (18 नवंबर) को तमिलनाडु विधानसभा के विशेष सत्र में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.
इनको पूर्वरूप में लाने के लिए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) की ओर से सदन में एक प्रस्ताव भी पेश किया गया, क्योंकि इन्हें वापस लौटाने के कोई कारण राज्यपाल की तरफ से सरकार को नहीं बताये गए थे.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टालिन सरकार की ओर से जिन 10 विधेयकों को फिर से मंजूरी दी गई है, उनमें से 2-2 विधेयक क्रमश: 2020 और 2023 में सदन में पारित किए गए थे. वहीं बाकी 6 अन्य बिलों को पिछले साल सदन में मंजूरी दी गई थी.
काफी समय से पड़े हुए थे राज्यपाल के पास लंबित
सदन से पारित होने के बाद इनको मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था. इसके बाद से यह सभी विधेयक बिना किसी कारण के लंबित पड़े हुए थे. इसको लेकर तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दरवाजा खटखटाया था. इनमें राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को चांसलर के पद पर पदोन्नत करके राज्यपाल की शक्तियों में कटौती करने वाला भी एक विधेयक भी शामिल है.
'विधेयकों को बिना कारणों के सहमति न देना अलोकतांत्रिक व जनविरोधी'
स्टालिन ने राज्यपाल रवि पर तीखा हमला करते हुए विधानसभा में कहा कि बिना किसी कारण के सहमति (मंजूरी) रोकना अस्वीकार्य है. अपनी व्यक्तिगत सनक और पसंद के चलते इन सभी बिलों को वापस लौटाया गया था. इनको सहमति न देना अलोकतांत्रिक और जनविरोधी है."
उन्होंने कहा, "अगर विधानसभा में विधेयक दोबारा पारित किया जाता है और राज्यपाल के पास भेजा जाता है तो वह सहमति नहीं रोक सकते."
'गैर-बीजेपी शासित राज्यों को केंद्र जानबूझकर बना रहा निशाना'
मुख्यमंत्री स्टालिन ने यह भी आरोप लगाया कि गैर-बीजेपी शासित राज्यों को राज्यपालों के जरिये केंद्र की तरफ से जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. पिछले कुछ महीनों से डीएमके सरकार और तमिलनाडु के राज्यपाल के बीच टकराव चल रहा है.
'राज्य के नाम को लेकर राज्यपाल की टिप्पणी ने छेड़ी बहस'
उन्होंने कहा कि राज्यपाल रवि ने गत 4 जनवरी को चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान राज्य के नाम को लेकर की गई टिप्पणी से बहस छेड़ दी थी. यहां तमिलनाडु में एक अलग तरह की कहानी गढ़ दी गई कि जो कुछ भी पूरे देश पर लागू होता है, तमिलनाडु उसे 'नहीं' कहेगा. यह एक आदत बन गई है. उन्होंने कहा कि बहुत सारी थीसिस लिखी गई हैं जोकि सभी झूठी और घटिया कल्पना हैं. सत्य की जीत होनी चाहिए. इसे थमिझागम कहना अधिक उपयुक्त शब्द होगा.
10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी गंभीर चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को तमिलनाडु सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य विधानसभाओं से पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपालों की तरफ से की जा रही देरी पर 'गंभीर चिंता' जताई थी.
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