पुरी: जगन्नाथ मंदिर के कपाट खुले, दर्शन करने के लिए लगा भक्तों का तांता
जगन्नाथ जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. पुरी की तरह ही अब अहमदाबाद, कोलकाता समेत देश विदेश में रथयात्रा निकलती है.

पुरी: पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन शुरू हो गए हैं, मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. यहां सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. देश विदेश से लाखों लोग पुरी पहुंच गए हैं. 28 जून को स्नान पूर्णिमा के दिन से ही मंदिर का गर्भ गृह बंद था. मान्यता है कि इस दौरान भगवान बीमार हो जाते हैं, वहीं रथयात्रा के लिए ओडिशा के पुरी में तैयारियॉं आख़िरी दौर में हैं. आज सूर्यग्रहण है, लेकिन भारत में नहीं है इसलिए मंदिर के कपाट खुल रहे हैं.
देश विदेश से लाखों लोग पुरी पहुंचे
14 जुलाई को भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलेंगे. पिछले पंद्रह दिनों से उनके दर्शन बंद था. 28 जून को स्नान पूर्णिमा को भगवान को नहलाया गया था. जगन्नाथ जी, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को 108 मटकों से नहलाया गया था.
जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी का रथ बन कर तैयार हो गया है. भगवान का रथ लोग रस्सियों के सहारे खींचते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से मोक्ष मिलता है. पापों से मुक्ति मिल जाती है. जगन्नाथ जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. पुरी की तरह ही अब अहमदाबाद, कोलकाता समेत देश विदेश में रथयात्रा निकलती है.
इस साल 15 लाख लोगों के लिए किए गए इंतज़ाम
वैसे तो भक्त मंदिर के अंदर जाकर भगवान के दर्शन करते हैं लेकिन रथयात्रा ऐसा अद्भुत अवसर होता है जब भगवान ख़ुद भक्तों को दर्शन देने रथ पर सवार होकर बाहर निकलते हैं. जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए अलग अलग रथ बनाए गए हैं . जिन्हें भक्त रस्सियों के सहारे खींचते हैं. मान्यता है कि रथ खींचने से मोक्ष मिलता है, इसी मोक्ष और मुक्ति के लिए रथयात्रा में पुरी में लाखों लोग जुटते हैं. ओडिशा के आईजी क़ानून व्यवस्था अमिताभ ठाकुर ने बताया कि इस साल 15 लाख लोगों के लिए इंतज़ाम किया गया है. पुरी, अहमदाबाद और कोलकाता के अलावा देश और विदेश के कई शहरों में जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकलती है.
भारत के धार्मिक वैभव का प्रतीक है पुरी की रथयात्रा
पुरी मंदिर से रथ पर निकल कर जगन्नाथ जी गुंडीचा मंदिर पहुंचते हैं. तीन किलोमीटर के इस सफर को ही रथयात्रा कहा जाता है. गुंडीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ का जन्म स्थान है, इसे भगवान का मौसी घर भी कहते हैं. वे यहां हफ़्ते भर रहते हैं, इसके बाद वे वापस रथ पर सवार होकर पुरी मंदिर लौट जाते हैं. पुरी की रथयात्रा आस्था और भारत के धार्मिक वैभव का प्रतीक है.
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Source: IOCL





















