Nirbhaya case: दोषियों को दिया जाए जल्द से जल्द फांसी, केंद्र की याचिका पर HC में सुनवाई जारी
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि न्याय हित में कोई देरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए.

नई दिल्लीः निर्भया गैंग रेप के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है. केंद्र सरकार की ओर से यह याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में डाली गई है. मामले की सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि दोषियों की ओर से जानबूझकर देरी की जा रही है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि न्याय हित में कोई देरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाई कोर्ट में कहा कि जिन दोनों दोषियों की दया याचिका खारिज हो गई है उन्हें फांसी देने में देरी नहीं की जानी चाहिए. सुनवाई के दौरान डीजी तिहाड़ भी कोर्ट में मौजूद हैं.
कोर्ट का सवाल- क्या दोषियों को अलग-अलग दे सकते हैं फांसी?
सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि नियम और कानून के मुताबिक जब तक सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला नहीं देता तब तक इनको अलग-अलग नहीं फांसी दी जा सकती. लेकिन दया याचिका राष्ट्रपति के पास जाती है तो उस नियम का मतलब नहीं रहता. दोषी को दया याचिका खारिज होने के बाद अलग अलग फांसी दी जा सकती है.
तुषार मेहता के इस जवाब के बाद कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में 4 दोषी हैं तो क्या इनको अलग-अलग फांसी दी जा सकती है? जिसपर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हां बिल्कुल दी जा सकती है.
सॉलिसिटर जनरल का तर्क
सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि जब हैदराबाद में पुलिस ने बलात्कार के आरोपियों का एनकाउंटर कर दिया तो देश में खुशी मनाई गई और ये एक खतरनाक संदेश भी है. क्योंकि, अभी ये तय होना बाकी है कि एनकाउंटर सही था या नहीं. लेकिन लोगों को लगता है कि अदालत में मामला जाने के बाद सालों साल निकल जाएंगे जैसे निर्भया केस में हो रहा है.
मुकेश की पुनर्विचार याचिका साल 2018 में हुई खारिज
मुकेश की पुनर्विचार याचिका जुलाई 2018 में खारिज हुई. क्यूरेटिव पिटिशन जनवरी 2020 में दायर की गई जो दिखाता है कि कैसे देरी करने की कोशिश की गई. 14 जनवरी को दया याचिका दायर की और 17 को खारिज हो गई. उसके बाद उसको भी चुनौती दी जो 29 जनवरी को खारिज हुई.
अक्षय ने साल 2020 में लगाई दया याचिका
अक्षय ने 950 दिन बाद पुनर्विचार याचिका दायर की. उसके बाद जनवरी 2020 में क्यूरेटिव और दया याचिका लगाई. अक्षय की दया याचिका अभी भी लंबित है.
अक्षय ने 950 दिन बाद पुनर्विचार याचिका दायर की. उसके बाद जनवरी 2020 में क्यूरेटिव और दया याचिका लगाई. अक्षय की दया याचिका अभी भी लंबित है. वहीं विनय 225 दिन बाद पुनर्विचार याचिका दायर की.
विनय की दया याचिका 9 जुलाई को खारिज हुई. 549 दिन बाद क्यूरेटिव पिटिशन 14 जनवरी 2020 को खारिज कर दी गई. 29 जनवरी 2020 को दया याचिका डाली गई जो कि 1 फरवरी को खारिज कर दी गई.
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