ASSAM: असम में ढाई हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को कमांडो ट्रेनिंग देगी सेना, कम होते उग्रवाद के बीच फैसला
ASSAM: सेना के ऑपरेशन-राइनो ने असम में उग्रवाद को लगभग उखाड़ फेंका है. राज्य सरकार को किसी भी स्थिती का सामना करने के लिए असम के 2570 नए पुलिसकर्मियों को सेना कमांडो ट्रेनिंग देने जा रही है.
ASSAM: असम में लगातार घट रहे उग्रवाद के प्रभाव को देखते हुए सेना अब कानून-व्यवस्था की बागडोर राज्य पुलिस के कंधों पर ज्यादा से ज्यादा डालने की कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में भारतीय सेना अब असम के ढाई हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को कमांडो ट्रेनिंग देने जा रही है. गुवाहाटी स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत के मुताबिक, शुक्रवार (2 दिसंबर) को नौरंगी कैंट में इस कमांडो ट्रेनिंग के बारे में विधिवत घोषणा की गई. इस दौरान सेना की गजराज कोर (तेजपुर) के जीओसी, लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा और असम के डीजीपी, भास्कर ज्योति महांता सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
असम पुलिस के जिन 2570 नए पुलिसकर्मियों को सेना कमांडो ट्रेनिंग देने जा रही है. वे भी इस समारोह में मौजूद थे. जिन नए पुलिसकर्मियों को सेना ट्रेनिंग देने जा रही है उनमें 2282 पुरुष और 288 महिलाएं हैं. सेना की सात अलग-अलग लोकेशन पर इन पुलिसकर्मियों को 40 हफ्तों की कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना होगा. असम पुलिस इन नए पुलिसकर्मियों के जरिए पांच कमांडो बटालियन खड़ा करना चाहती है. इन कमांडोज़ को बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग और एडवांस प्रशिक्षिण से गुजरना होगा.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर के हाथ में ट्रेनिंग का कमान
असम सरकार ने राज्य की पुलिस को सशक्त बनाने और पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने के लिए सेना के एक रिटायर्ड ब्रिगेडियर को स्पेशल डीआईजी (ट्रेनिंग) नियुक्त किया है. इन स्पेशल डीआईजी के अधीन 03 रिटायर्ड जेसीओ और 10 एनसीओ को तैनात किया गया है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 34 रिटार्यड आर्मी ऑफिसर्स को एडिशनल एसपी तैनात किया है ताकि पुलिस बटालियन की सेकेंड-इन-कमान उन्हें सौंप दी जाए.
35 जिलों में से मात्र नौ जिलों में अफ्सपा कानून
आपको बता दें कि असम के 35 जिलों में से मात्र नौ जिलों में ही आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट यानि अफ्सपा कानून रह गया है. बाकी दो दर्जन से ज्यादा जिलों से सेना को विशेष शक्तियां प्रदान करने वाला ये कानून हटा दिया गया है.
दरअसल, 1990 में उग्रवाद के चलते पूरे असम राज्य को डिस्टर्ब-एरिया घोषित कर सेना को विशेष पावर के साथ कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. लेकिन पिछले तीन दशक से चल रहे सेना के ऑपरेशन-राइनो का नतीजा है कि उग्रवाद को लगभग पूरी तरह उखाड़ फेंक दिया गया है. अब अफ्सपा कानून सिर्फ उन जिलों में हैं जो अरुणाचल प्रदेश या फिर नागालैंड से सटे हुए हैं. यही वजह है कि सेना अब धीरे-धीरे राज्य की पुलिस को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार कर रही है और खुद सैनिक अब बैरक की तरफ जा रहे हैं.