Knowledge: जानिए- ट्रेन पटरी कैसे बदलती है, दिन तो दिन रात में भी बड़ी आसानी से होता ये काम
ट्रेन के पटरी बदलने में दिन का समय हो या फिर रात का, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. ट्रेन के पटरी बदलने का लोको पायलट आसानी से करे लेते हैं.
नई दिल्लीः बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर ट्रैन पटरी कैसे बदलती है और एक पटरी से दूसरी पटरी पर ट्रेन कैसे पहुंच जाती है. ट्रैन यह काम दिन ही नहीं बल्कि रात को भी आसानी से कर लेती है.दरअसल, ट्रेन के पटरी बदलने में दिन का समय हो रात का इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. ट्रेन के पटरी बदलने का लोको पायलट आसानी से करे लेते हैं.
ट्रेन का जहां से पटरी बदलन होती है वहां पर एक दूसरी पटरी जुड़ी होती है. इसके दोनों सिरों को टेक्नीकली स्विच कहा जाता है. यह जहां जुड़ती होती है उसे आसान भाषा में सांधा बोला जाता है. एक लेफ्ट स्विच और एक राइट स्विच होता है. यदि एक स्विच पटरी चिपका है तो दूसरा स्विच खुली होगा. इनके जरिए ही ट्रेन को दूसरी पटरी पर ले जाया जाता या एक रास्ते को एक रास्ते से दूसरे रास्ते पर मोड़ा जाता है. स्विच के हिसाब से ट्रेन लेफ्ट और राइट मे जाती है.
होम सिगनल मिलने पर आगे जाती है ट्रेन इसे रेलवे स्टेशन से मैनेज किया जाता है. दरअसल, जब ट्रेन किसी स्टेशन से ट्रेन छूटती है तो वहां से जानकारी आती अगले स्टेशन को जानकारी मिलती है. सांधे के 180 मीटर दूर एक होम सिगनल लगा हुआ होता है. जब स्टेशन मास्टर पिछले स्टेशन को ट्रेन के आने के लिये लाइन क्लियर दे देता है तो तब सांधे को उस लाइन की ओर सैट करता है, जिस लाइन से उसे ट्रेन निकालना होता हो.
लाइन को सैट करने के बाद होम सिग्नल दिया जाता तभी ट्रेन स्टेशन के अन्दर प्रवेश करती है. होम सिग्नल नहीं मिलने पर वह इंतजार करती है और सिग्नल पर ही खड़ी रहती है. सिग्नल मिलने पर फिर ट्रेन चालक उस दिशा में ट्रेन को ले जाता है.
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