![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचेगा भारत, 7 सितंबर रात 1 बजकर 55 मिनट पर चांद पर उतरेगा चंद्रयान-2
चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद विक्रम के भीतर से रोवर प्रज्ञान 7 सितंबर की सुबह साढ़े पांच बजे से साढ़े छह के बीच बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के 14 दिन के बराबर) तक चंद्रमा की सतह पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा.
![अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचेगा भारत, 7 सितंबर रात 1 बजकर 55 मिनट पर चांद पर उतरेगा चंद्रयान-2 Chandrayaan-2 in Moons orbit, to land at 1.55am on September 7 अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचेगा भारत, 7 सितंबर रात 1 बजकर 55 मिनट पर चांद पर उतरेगा चंद्रयान-2](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/09/06063616/ISRO.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
बैंगलुरू: 7 सितंबर को सुबह 1:55 पर जब चंद्रयान का लेंडर विक्रम चांद की धरती पर कदम रखेगा उसी के साथ भारत एक नया इतिहास रच देगा. चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के उतरने का सीधा नजारा देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 60 हाईस्कूल विद्यार्थियों के साथ बेंगलुरु स्थित इसरो केंद्र में मौजूद रहेंगे.
37 फ़ीसदी ही सफल हुए हैं सॉफ्ट लैंडिंग के चांस- इसरो
इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया कि अब तक चांद पर भेजे गए मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग के चांस केवल 37 फ़ीसदी ही सफल हुए हैं. हालांकि बावजूद इसके इसरो पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरा है कि यह मिशन सफल होगा. दरअसल वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट में हमेशा यह एक रूल रहा है कि अगर किसी एक्सपेरिमेंट के पास होने के एक फ़ीसदी भी चांस हो तो उसे जरूर आजमाया जाता है.
अनगिनत सपनों को लेकर चंद्रमा पर गए चंद्रयान-2 के पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह पर सफलतापूर्वक उतरने के साथ ही रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत वहां सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा और चंद्रमा के अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा.
सुबह साढ़े पांच बजे से साढ़े छह के बीच बाहर निकलेगा रोवर
चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद विक्रम के भीतर से रोवर प्रज्ञान 7 सितंबर की सुबह साढ़े पांच बजे से साढ़े छह के बीच बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के 14 दिन के बराबर) तक चंद्रमा की सतह पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है और यह लगातार चंद्रमा की परिक्रमा कर धरती पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों को संबंधित जानकारी भेजता रहेगा.
गौरतलब है कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते 15 जुलाई को टाल दिया गया था. इसके बाद 22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण की तारीख पुनर्निर्धारित करते हुए इसरो ने कहा था कि चंद्रयान-2 अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है.
योजना पर आई 978 करोड़ रुपये की लागत
इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क- एम 1 के जरिए 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया था. इस योजना पर 978 करोड़ रुपये की लागत आई है. चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को शुरू की थी. इसके बाद 20 अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था.
यह भी पढ़ें-INX मीडिया केस: तिहाड़ में कटी पी चिदंबरम की रात, खाने में मिली दाल रोटी और सब्जी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की कड़ी चेतावनी, कहा- आत्मरक्षा के लिए बल प्रयोग करने से नहीं हिचकेगा भारत
दिल्ली : कनॉट प्लेस के रेस्टोरेंट में जम्मू-कश्मीर के लोगों को खाने में मिल रही है 370 रुपये की छूट
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)