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लोकसभा चुनाव परिणाम 2024

UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

जेपी नड्डा या कोई और… बीजेपी की कमान अबकी बार किसके हाथ? सबसे बड़ी पार्टी में अध्यक्ष का चुनाव लड़ना भी आसान नहीं

गठन के 42 साल में बीजेपी के अब तक 11 अध्यक्ष हुए हैं. दिलचस्प बात है कि सभी अध्यक्ष सर्वसम्मति से ही चुने गए. कार्यकर्ताओं की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी में अध्यक्ष चुनाव लड़ना आसान नहीं है.

लोकसभा चुनाव 2024 तक बीजेपी की कमान कौन संभालेगा? इसको लेकर सियासी चर्चा शुरू हो गई है. वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा है. पार्टी ने नए अध्यक्ष के चुनाव और अन्य नीतिगत फैसला लेने के लिए 16 और 17 जनवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग बुलाई है.

सूत्रों के मुताबिक 17 जनवरी को नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लग सकती है. जेपी नड्डा को फिर से कार्यकाल मिलने की भी चर्चा है. हालांकि, 2014 के बाद बीजेपी में जिस तरह से नियुक्तियों को लेकर चौंकाने वाले फैसले हुए हैं, उसे देखते हुए कुछ भी फाइनल नहीं माना जा रहा है. 

जेपी नड्डा या कोई और... संभावनाएं कम
अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद जेपी नड्डा को बीजेपी की कमान सौंपी गई थी. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक हिमाचल छोड़कर नड्डा का परफॉर्मेंस अब तक बेहतर रहा है. ऐसे में उनको फिर से अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है.

हालांकि, सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि नड्डा मोदी कैबिनेट में फिर से शामिल हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी को 2024 के लिए नया अध्यक्ष मिल सकता है. इनमें धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव का नाम सबसे आगे है.

बीजेपी में कैसे चुना जाता है अध्यक्ष, 2 प्वॉइंट्स

  • 1980 से लेकर अब तक बीजेपी में अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से ही हुआ है. हाईकमान में सर्वसम्मति बन जाने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसे पास कराया जाता है. 
  • बीजेपी संविधान के मुताबिक अध्यक्ष का अगर चुनाव कराया जाता है तो राष्ट्रीय और प्रदेश परिषद के सदस्यों को मिलाकर एक निर्वाचक मंडल बनाया जाता है. निर्वाचक मंडल के सदस्य ही अध्यक्ष चुनते हैं.

अध्यक्ष का चुनाव लड़ना आसान नहीं, 4 वजहें...
15 साल से पार्टी में सक्रिय हो- 42 साल पुरानी बीजेपी में अध्यक्ष बनने की पहली शर्त है कि चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति 15 साल तक पार्टी के सक्रिय सदस्य हो. साथ ही 4 अवधियों तक सक्रिय सदस्य रहा हो.

निर्वाचक मंडल के 20 सदस्य प्रस्तावक- अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए दूसरी शर्त है कि कैंडिडेट के समर्थन में निर्वाचक मंडल के करीब 20 सदस्य प्रस्ताव रखे. इन प्रस्ताव पर अध्यक्ष के कैंडिडेट को हस्ताक्षर करना होता है.


जेपी नड्डा या कोई और… बीजेपी की कमान अबकी बार किसके हाथ? सबसे बड़ी पार्टी में अध्यक्ष का चुनाव लड़ना भी आसान नहीं

5 राज्यों से प्रस्ताव आना जरूरी- अध्यक्ष चुनाव लड़ने के लिए सबसे बड़ी पेंच यहीं पर है. कैंडिडेट को उन पांच राज्यों से प्रस्ताव लाना होगा, जहां राष्ट्रीय परिषद का चुनाव हो चुका हो यानी 5 राज्यों की संगठन का समर्थन जरूरी है. 

संघ का करीबी होना भी जरूरी- संघ भले बीजेपी के आंतरिक फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करने का दावा करती रही है, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में संघ की छाप हमेशा दिखी है. 42 साल में बीजेपी में 11 अध्यक्ष बने हैं, जिसमें 7 संघ के बैकग्राउंड से रह चुके हैं. इनमें लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कुशाभाऊ ठाकरे, नितिन गडकरी और जेपी नड्डा का नाम शामिल है.
 
जब अध्यक्ष का चुनाव सुर्खियों में आया...
साल था 2012 और महीना अक्टूबर का. बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी को लगातार दूसरा कार्यकाल मिलना तय माना जा रहा था. गडकरी 2009 में बीजेपी की हार के बाद अध्यक्ष बने थे. 

लेकिन इसी बीच बीजेपी के कद्दावर नेता राम जेठमलानी ने गडकरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जेठमलानी ने कहा कि गडकरी अगर चुनाव लड़ते हैं, तो मैं भी उनके खिलाफ चुनाव लड़ूंगा. 

पार्टी में शुरू इस घमासान को खत्म करने के लिए संघ ने गडकरी से नाम वापस लेने के लिए कहा. इसके बाद राजनाथ सिंह को बीजेपी की बागडोर सौंपी गई. 


जेपी नड्डा या कोई और… बीजेपी की कमान अबकी बार किसके हाथ? सबसे बड़ी पार्टी में अध्यक्ष का चुनाव लड़ना भी आसान नहीं (Source- Getty)

राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल कब तक?
बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल के लिए होता है. पहले एक अध्यक्ष लगातार दो बार पद पर नहीं रह सकते थे, लेकिन 2012 में इसे बदला गया. अब लगातार 2 बार कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष पद पर रह सकते हैं. 

विवाद के कारण एलके आडवाणी और बंगारू लक्ष्मण को छोड़ना पड़ा था पद
अटलजी की सरकार बनने के बाद बीजेपी ने दक्षिण के राज्यों में विस्तार की रणनीति बनाई. इस रणनीति के तहत आंध्र (अब तेलंगाना) के बंगारू लक्ष्मण को 2000 में पार्टी की कमान सौंपी. लेकिन उनका एक वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद उन्हें 2001 में पद छोड़ना पड़ा. 

वहीं बीच कार्यकाल में लालकृष्ण आडवाणी को भी पद छोड़ना पड़ा. आडवाणी 2004 में बीजेपी की तीसरी बार कमान संभाली, लेकिन 2005 में जिन्ना के मजार पर चादर चढ़ाने की वजह से खूब विवाद हुआ. आडवाणी ने इसके बाद इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष बनाए गए. 

आडवाणी सबसे ज्यादा, बंगारू सबसे कम दिनों तक रहे
बीजेपी में सबसे ज्यादा दिनों तक लालकृष्ण आडवाणी अध्यक्ष पद पर रहे. वे 3 टर्म में 11 सालों तक अध्यक्ष का कार्यभार संभाल चुके हैं. बंगारू लक्ष्मण सबसे कम दिनों तक अध्यक्ष की कुर्सी पर रहे हैं. बंगारू करीब 12 महीने तक ही अध्यक्ष रह पाए थे.


जेपी नड्डा या कोई और… बीजेपी की कमान अबकी बार किसके हाथ? सबसे बड़ी पार्टी में अध्यक्ष का चुनाव लड़ना भी आसान नहीं

जनसंघ वाली गलती नहीं दोहराना चाहती है बीजेपी
बीजेपी में अध्यक्ष को लेकर चुनाव क्यों नहीं कराए जाते हैं? जनसंघ और बीजेपी को करीब से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन शर्मा ने बताया कि जनसंघ के जमाने में अध्यक्ष का चुनाव कराया जाता था, लेकिन चुनाव के दौरान कई बड़े विवाद हुए, जिससे संघ ने सीख ली और अब चुनाव नहीं कराए जाते हैं. आइए जानते हैं, उन विवादों के बारे में...

1954 में मौलीचंद्र शर्मा का विवाद- श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बाद मौलीचंद्र शर्मा जनसंघ के अध्यक्ष बनाए गए. शर्मा कांग्रेस के नेता रह चुके थे. ऐसे में उस वक्त जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ विरोध शुरू कर दिया. विरोध देखते हुए शर्मा को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. 

1972 में बलराध मधोक का विवाद- 1972 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल पूरा होने के बाद बलराज मधोक चुनाव लड़ना चाहते थे. अटल और मधोक के बीच पुरानी अदावत को देखते हुए संघ असहज हो गया. मधोक अटल बिहारी को असल कांग्रेसी बता चुके थे.


जेपी नड्डा या कोई और… बीजेपी की कमान अबकी बार किसके हाथ? सबसे बड़ी पार्टी में अध्यक्ष का चुनाव लड़ना भी आसान नहीं

ऐसे में उस वक्त दिल्ली जनसंघ के अध्यक्ष रहे लालकृष्ण आडवाणी को जनसंघ की कमान सौंपी गई. आडवाणी ने बाद में मधोक को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाल दिया.

अध्यक्ष चुनाव को लेकर सवाल उठा चुकी है कांग्रेस
हाल ही में अपना नया अध्यक्ष निर्वाचित करने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी अध्यक्ष के चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाया था. मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि बीजेपी तो कब अध्यक्ष चुन लेती है, इसके बारे में किसी को पता भी नहीं चलता है. पहले बीजेपी खुद के भीतर लोकतंत्र लाए.

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