हिंदी पर मचा बवाल तो क्या बोल गए बागेश्वर धाम बाले बाबा? धीरेंद्र शास्त्री की पहली प्रतिक्रिया
Dhirendra Shastri: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन केंद्र सरकार पर हिंदी को थोपने का आरोप लगा रहे हैं, इसको लेकर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की पहली प्रतिक्रिया आई है.

Hindi Controversy in South India: दक्षिण भारत में हिंदी भाषा को लेकर बवाल मचा हुआ है. तमिलनाडु और केरल केंद्र सरकार पर हिंदी को थोपने का आरोप लगा रहे हैं. इसको लेकर जब बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. हिंदी इस देश की जड़ है.
एएनआई से बात करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'ये सबसे बड़ा दुर्भाग्य है इस देश का. इस देश की मूल भाषा हिंदी है. भाषाएं अलग हो सकती हैं पर भेदभाव नहीं होना चाहिए किसी भी भाषा के साथ. हिंदी इस देश की जड़ है, इस देश की मुखिया है.'
#WATCH | Delhi: On the three-language policy issue and MK Stalin's remarks, Bageshwar Dham Sarkar Acharya Dhirendra Krishna Shastri says, "The original language of this country is Hindi. Languages may be different, but there should not be any discrimination against any… pic.twitter.com/btPmJ9yfIC
— ANI (@ANI) March 5, 2025
हिंदी को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन केंद्र सरकार पर आक्रामक हैं और राज्य के लोगों पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं. बीते बुधवार (5 मार्च) को स्टालिन ने X पर एक पोस्ट में तमिल को हिंदी के समान दर्जा देने और इसे आधिकारिक भाषा बनाने की मांग की. इस दौरान उन्होंने संस्कृत को एक मृत भाषा करार दिया और तमिल भाषा को ज्यादा फंड देने की अपील की. स्टालिन ने संसद में सेंगोल स्थापित करने को एक प्रतीकात्मक कदम बताया. तमिलनाडु सीएम ने राज्य में 'हिंदी पखवाड़ा' मनाने पर भी आपत्ति जताई और इसे टैक्सपेयर्स के पैसों की बर्बादी बताया.
क्या है 3 लैंग्वेज फॉर्मूला, जिस पर मचा बवाल?
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत देश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में तीन भाषाएं सिखाई जाएंगी. इनमें दो भारतीय भाषाएं होंगी, जबकि एक अन्य भाषा होगी. हालांकि इसमें किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है. राज्य और स्कूल यह तय करने के लिए फ्री हैं, वो कौन-सी 3 भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं. तमिलनाडु और केरल समेत दक्षिण भारत के कई राज्य इस फॉर्मूले पर आपत्ति जता रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि उन पर हिंदी भाषा थोपने की साजिश की जा रही है.
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