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एक साथ 20 सेटेलाइट का सफल प्रक्षेपण, जानें इस रिकॉर्ड की सभी बड़ी बातें

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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो से जैसे ही पीएसएलवी सी34 धुँआ उडाता हुआ आकाश की ओर बढ़ा भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और मुक़ाम हासिल ली. 9:26 बजे पीएसएलवी सी34 ने भारत के तीन और विदेशी सत्रह सैटेलाइट एक साथ लेकर उड़ान भरी. प्रक्षेपण के 26 मिनट के अंदर इन सारे 20 सैटेलाइट को उनकी उनकी कक्षा में स्थापित कर लिया गया. भारत के पृथ्वी निगरानी अंतरिक्ष यान कारटोसैट-2 समेत 19 उपग्रहों को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी 34 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड (एसएलपी) छोड़ा गया. इस मौके पर इसरो के वैज्ञानिकों के बीच ख़ासा उत्साह देखा गया. 320 टन वज़न वाला पीएसएलवी कनाडा, इंडोनेशिया, जर्मनी और अमेरिका आदि देशों के 17 छोटे उपग्रहों समेत भारत का कार्टोसैट, चेन्नई के छात्रों द्वारा निर्मित सत्यभामा सैट और पुणे छात्रों द्वारा निर्मित स्वयं को अपने साथ लेकर उड़ान भरी. लेकिन इस लॉन्च का सबसे प्रमुख उपग्रह 727.5 किलोग्राम वज़न का पृथ्वी की निगरानी करने वाला भारतीय 'कार्टोसैट2' है, जो सब-मीटर रिसॉल्यूशन में तस्वीरें खींच सकेगा. इसरो ने भारत-अमेरिका मित्रता के प्रतीक के रूप में 13 अमेरिका-निर्मित छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है. जिनमें गूगल के मालिकाना हक वाली कंपनी टेरा बेला द्वारा बनाया गया पृथ्वी की तस्वीरें खींचने वाला उपग्रह भी शामिल है. गूगल का यह सैटेलाइट स्काईसैट जेन2, 110 किलोग्राम वज़न का है, और यह सब-मीटर रिसॉल्यूशन की तस्वीरें खींचने तथा हाई-डेफिनिशन वीडियो बनाने में सक्षम है. बतादे कि वर्ष 2008 में 28 अप्रैल को इसरो ने एक ही बार में सबसे ज़्यादा उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने का विश्वरिकॉर्ड बनाया था, जब पीएसएलवी एक साथ 10 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा था, लेकिन वर्ष 2013 में अमेरिकी मिनोटॉर-1 रॉकेट ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया और एक साथ 29 उपग्रह ले गया और फिर अगले ही साल रूस ने रिकॉर्ड पर कब्जा कर लिया जब उन्होंने डीएनईपीआर रॉकेट के ज़रिये एक साथ 33 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे. इसरो इस लांच के साथ अब तक लगभग 20 अलग-अलग देशों के 74 उपग्रहों को 19 अलग अलग मिशन में लॉन्च कर चुका है. ख़ास बातें: 1- कार्टोसैट2 उपग्रह से भेजी जाने वाली तस्वीरें काटरेग्राफिक, शहरी, ग्रामीण, तटीय भूमि उपयोग, जल वितरण और अन्य अनुप्रयोगों के लिए मददगार होंगी. 2-चेन्नई के सत्यभामा यूनिवर्सिटी का 1.5 किलोग्राम वजनी सत्याभामासैट उपग्रह ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े एकत्र करेगा. 3-पुणे का एक किलोग्राम का स्वयं उपग्रह हैम रेडियो कम्यूनिटी को संदेश भेजेगा. 4-रॉकेट 1,288 किलोग्राम पेलोड के साथ दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया. 5-इस पूरे मिशन में तकरीबन 26 मिनट लगे. 6-2016 से 2017 तक इसरो का लक्ष्य 25 से ज्यादा उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजना. इसरो की कमर्शियल इकाई, एंट्रिक्स ने अब तक के 74 लांच में से पिछले साल 1700 करोड़ की कमाई की तो इस साल अब तक 1500 करोड़ की कमाई की है. अब भी 20 देश प्रक्षेपण के लिए इसरो के संपर्क में है. 7- इसरो ने अब तक सभी विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है. दूसरी स्पेस एजेंसियों के मुक़ाबले फीस भी इसरो में सस्ती पड़ती है और यहीं कारण है कि मर्स मिशन जैसे बड़े मिशन को महज़ 450 करोड़ में बनने वाले इसरो से अमेरिका भी मदद ले रहा है. 8-यह पहली बार था कि कोई भारतीय प्रक्षेपण यान ने इतनी बड़ी संख्या में उपग्रहों को अंतरिक्ष में छोड़ा. 9-ज़ाहिर है एक के बाद एक इसरो अंतरिक्ष के क्षेत्र में मुकाम हासिल कर रहा है जिसने बड़े बड़े देशों को भी मदद लेने पर मजबूर कर दिया है. इसरो इस लॉन्च के साथ ही उन अरबपति कंपनियों के मुकाबले में पहुंच जाएगा, जिन्होंने कहीं कम कीमतों में लॉन्च की पेशकश देकर अंतरिक्ष प्रक्षेपण के उद्योग में दस्तक दी है.
Published at : 22 Jun 2016 05:14 AM (IST)
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