मां लक्ष्मी की कृपा चाहते हैं तो करें ये उपाय, होगा लाभ
महालक्ष्मी की कृपा उनकी प्रसन्नता से प्राप्त होती है. लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ उपायों में से एक है- ग्रंथों का दान. लक्ष्मीजी विभिन्न स्वरूपों में व्यक्ति को लाभान्वित करती हैं. दीपावली पर पूजा भी भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की साथ की जाती है. श्रीगणेश को विद्या बुद्धि का दाता और आदि ग्रंथों का रचियता माना जाता है.

महालक्ष्मी रहन सहन संस्कार और वैभव की दात्री हैं. धन भाग्य संपदा की स्वामिनी हैं. उनकी कृपा से यह सब व्यक्ति को सहज ही प्राप्त हो जाता है. महालक्ष्मी संस्कारों को बढ़ाती हैं. परंपराओं को पोषित करती हैं. हमारे धर्म ग्रंथ ज्ञान विज्ञान और परिपाटियों की लिपियां हैं.
लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए इन्हें दान करना चाहिए. ग्रंथों को दान करने से भगवान गणेश भी प्रसन्न होते हैं. वे हम पर रिद्धि सिद्धी की कृपा बरसाते हैं. धर्मग्रंथ, वेद-पुराण, गीता-भागवत आदि महान पुस्तकों से लक्ष्मी माता, वाग्देवी सरस्वती और श्रीगणेश की त्रयी की कृपा बरसती है.
पुस्तकों के दान से बुध ग्रह ही प्रसन्न होते हैं. बुुद्धि, विवेक, व्यापार, व्यवहार की समझ देते हैं. पुस्तकें समाज की नव पीढ़ी से पुरातन पीढ़ी का मिलन होता है. योग्य और जरूरतमंद को पुस्तकें दान करने से चहुंओर सफलता, भाग्य प्रबलता और सद्भाव की भावना बढ़ती है. इससे अष्टलक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
पुस्तकों के दान में व्यक्ति अपने कार्य व्यापार, कर्मक्षेत्र और लक्ष्य का ध्यान रख पुस्तकें चयन कर सकता है. न्याय और कार्मिक सफलता के लिए गीता दान श्रेष्ठ है. भक्ति भाव की वृद्धि के लिए रामचरितमानस, सूरसारावली, देवी भागवत पुराण, रुद्राष्टाध्यायी, दुर्गा सप्तशती का दान कर सकते हैं.इसी प्रकार करियर में सफलता के लिए प्रबंधन की पुस्तकें संविधान एवं अर्थशास्त्र आदि ग्रंथ जरूरतमंदों को प्रदान करवाएं. कला साहित्य से जुड़े जन विभिन्न कला किताबों, चित्र-पुस्तिकाओं का दान कर सकते हैं.
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