Women's Day 2023: प्रेग्नेंसी में भी स्ट्रेस है सबसे बड़ा दुश्मन, इस तरह डालता है मां पर असर
प्रेग्नेंसी सही समय पर हो और मां और भ्रूण में पल रहा शिशु स्वस्थ्य रहे. इसके लिए जरूरी है कि प्रेग्नेंट महिला केा तनाव अधिक नहीं लेना चाहिए. इससे गर्भपात होने का भी खतरा रहता है.
International Women's Day 2023: प्रेग्नेंसी किसी भी महिला का जीवन का अहम हिस्सा है. विवाह के बाद हर महिला की ख्वाहिश होती है कि मां बने. लेकिन आजकल खराब हो रही लाइफ स्टाइल, बढ़ते स्ट्रेस और अन्य वजहों से प्रेग्नेंसी की क्षमता पर प्रभाव पड़ा है. डॉक्टरों का कहना है कि मानसिक तनाव अधिक होना, काम का बोझ. ये सभी ऐसे कारक हैं, जोकि डायरेक्टली प्रजनन क्षमता पर असर डालते हैं. इस प्रभाव की जानकारी महिलाओं को नहीं हो पाती हैं. लेकिन बॉडी पर पड़ रहे निगेटिव इफेक्ट के कारण परेशानी बढ़ने लगती है. यहां जानना जरूरी होता है कि महिलाओं की प्रेग्नेेंसी पर क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है?
पहले तनाव को समझिए
सबसे पहले स्ट्रेस को जानना चाहिए. यह किस वजह से हो रहा है. काम से तनाव हो सकता है. अधिक वजन तनाव का कारक हो सकता है. नौकरी भी टेेंशन की वजह हो सकती है. टाइम मैनेजमेंट और प्रेग्नेेंसी न हो पाना भी स्ट्रेस बढ़ने का एक कारण हो सकते हैं. ऐसे मे सबसे पहले स्ट्रेस के कारणों पर गौर करना जरूरी है.
प्रेग्नेंसी से स्ट्रेस का क्या है कनेक्शन?
डॉक्टरों का कहना है कि स्ट्रेस से महिला की बॉडी में चेन रिएक्शन शुरू हो सकती है. इससे बॉडी में कुछ केमिकल पैदा होने लगते हैं, जोकि बढ़ते हुए भू्रण पर निगेटिव प्रभाव डालते हैं. इससे मिसकेरिज होने की संभावना बढ़ जाती है.
प्रेग्नेंसी पर निगेटिव इफेक्ट का साइंटिफिक आधार ये है
साइंटिफिक रिसर्च के आधार पर सामने आया है कि जब मस्तिष्क अधिक स्ट्रेस में होता है तो वह सीआरएच रिलीज करता है. सीआरएच को कॉर्टिकोट्रोपिन रिलीजिंग हार्माेन कहा जाता है. डिलीवरी के समय गर्भाशय के संकुचन को बंद करते समय सीआरएच रिलीज हो सकते हैं. लेकिन यदि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अधिक स्ट्रेस में रहें तो यह क्रोनिक स्ट्रेस के दौरान गर्भाशय में मौजूद सीआरएच हार्माेन मास्ट सेल्स पर हमला कर सकते हैं. इससे बॉडी में ऐसे कैमिकल पैदा होने शुरू हो सकते हैं, जिनसे गर्भपात होने की संभावना अधिक है.
महिलाएं इस तरह रखें खुद का ख्याल
सही डाइट होना बेहद जरूरी है. डाइट सही न होने पर मां और गर्भ पल रहे शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. नाश्ता करना, हरी पत्तेदार सब्जी का खाना, विटामिन सी लेना, पफाइबर का अधिक सेवन और कम कार्ब्स वाली डाइट का सेवन करना शामिल होता है. 7 से आठ घंटे नींद लेनी चाहिए. अकेले रहने की कोशिश कम करें. इससे कई बार बुरे ख्याल आते हैं. पति और पत्नि को प्रेग्नेंसी को लेकर बात करनी चाहिए. यदि किसी तरह की परेशानी है तो महिला डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए.
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