भारत को करनी चाहिए अगली महामारी की तैयारी, नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ डराने वाला खुलासा
कोविड महामारी के उस खतरनाक मंजर को किसी के लिए भूलना बेहद मुश्किल है. 4 साल बाद भी कोरोना महामारी के जख्म ताजा है. कोविड संकट के कारण कई परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गए.
कोरोना महामारी को आखिर कोई कैसे भूल सकता है. कोरोना के 4 साल बीतने के बाद भी लोग वो डरावने साल को अब तक भूल नहीं पाए हैं. कोविड महामारी के उस खतरनाक मंजर को किसी के लिए भूलना बेहद मुश्किल है. 4 साल बाद भी कोरोना महामारी के जख्म ताजा है. कोविड संकट के कारण कई परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गए. नीति आयोग ने एक रिपोर्ट पेश की है. जिसमें बताया है कि स्वास्थ्य आपात स्थितियों या महामारियों से निपटने के लिए एक खास बॉडी बनाई जा रही है.
इसका नाम 'पैंडेमिक प्रिपेयर्डनेस एंड इमरजेंसी रिस्पांस' (PPER) होगा. साथ ही इसमें 'पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी मैनेजमेंट एक्ट' (PHEMA) बनाने और सलाह देने के लिए रखी गई है. महामारी फैलने के 100 दिनों के अंदर प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी. चार सदस्यीय समूह का गठन कोविड-19 के बाद भविष्य की महामारी की तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए किया गया था.
महामारी के लिए 100-दिवसीय
इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रकोप के पहले 100 दिन प्रभावी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसमें कहा गया है कि इस अवधि के भीतर उपलब्ध कराई जा सकने वाली रणनीतियों और जवाबी उपायों के साथ तैयार रहना महत्वपूर्ण है. रिपोर्ट किसी भी प्रकोप या महामारी के लिए 100-दिवसीय प्रतिक्रिया के लिए एक कार्य योजना प्रदान करती है.
प्रस्तावित सिफारिशें नए पीपीईआर ढांचे का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की तैयारी के लिए रोड मैप और कार्य योजना तैयार करना और इन 100 दिनों में एक अच्छी तरह से व्यक्त प्रतिक्रिया देना है. विशेषज्ञ समूह ने चार क्षेत्रों में सिफारिशें की हैं: शासन और कानून, डेटा प्रबंधन और निगरानी, अनुसंधान और नवाचार, और जोखिम संचार.
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शासन के लिए, रिपोर्ट में एक अलग कानून (PHEMA) बनाने की सिफारिश की गई है, जो स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की अनुमति देगा, जिसमें रोकथाम, नियंत्रण और आपदा प्रतिक्रिया शामिल होगी, साथ ही यह राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कुशल सार्वजनिक स्वास्थ्य संवर्गों के निर्माण का भी प्रावधान कर सकता है.
समूह की रिपोर्ट में कहा गया है PHEMA महामारी से परे विभिन्न पहलुओं को संबोधित कर सकता है. जिसमें गैर-संचारी रोग, आपदाएं और जैव-आतंकवाद शामिल हैं, और इसे विकसित देशों में लागू किया जाना चाहिए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रणनीतियों और प्रतिवादों के साथ तैयार रहना महत्वपूर्ण है. जिन्हें पहले 100 दिनों के भीतर उपलब्ध कराया जा सकता है.
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PPER के तहत कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों के एक अधिकार प्राप्त समूह का भी प्रस्ताव किया गया है, ताकि एक सुव्यवस्थित मशीनरी को क्रियान्वित किया जा सके, जो किसी भी आपात स्थिति से पहले खुद को तैयार कर सके. रिपोर्ट में कहा गया है,एक सुव्यवस्थित स्कोरकार्ड तंत्र को नियमित रूप से प्रमुख लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी करनी चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिकता वाले लक्ष्यों में मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे दोनों के लिए क्षमताओं का विकास, अभिनव प्रतिवादों का विकास, उच्च रिटर्न प्राप्त करने के लिए उचित उच्च जोखिम वित्तपोषण आदि शामिल हैं.
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