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‘टेक्नोलॉजी पर करना होगा इनोवेशन, जनसंख्या बोझ नहीं अवसर बनाना होगा, निखिल अग्रवाल ने बताई भारत की ताकत

डॉ. निखिल अग्रवाल ने बताया कि पहले शिक्षा व्यवस्था में प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं से केवल पढ़ाने या अकादमिक रिसर्च तक सीमित रहने की अपेक्षा की जाती थी, लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं.

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भारत को आने वाले समय में अपनी मौजूदा कमजोरियों को पहचानकर उन्हें अवसर में बदलना होगा और इसके लिए टेक्नोलॉजी व इनोवेशन को केंद्र में रखना बेहद जरूरी है. यह बात फाउंडेशन ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (FITT) के डायरेक्टर डॉ. निखिल अग्रवाल ने एबीपी एंटरप्रेन्योरशिप कॉन्क्लेव के दौरान कही. उन्होंने कहा कि आज भारत में स्टार्टअप को लेकर जो झिझक या टैबू पहले देखने को मिलता था, वह काफी हद तक खत्म हो चुका है.

अब जरूरत इस सोच को और मजबूत करने की है ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा उद्यमिता की ओर बढ़ें. उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में घोषित लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के आरडीआई (रिसर्च, डेवलपमेंट एंड इनोवेशन) फंड का जिक्र करते हुए कहा कि यह फंड देश में रिसर्च और इनोवेशन को नई दिशा देगा और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बड़ा सहारा प्रदान करेगा.

नए खोज के मौके

डॉ. निखिल अग्रवाल ने यह भी बताया कि पहले शिक्षा व्यवस्था में प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं से केवल पढ़ाने या अकादमिक रिसर्च तक सीमित रहने की अपेक्षा की जाती थी, लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं. आज रिसर्च को कमर्शियलाइज करने यानी उसे बाजार से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे इनोवेशन का सीधा लाभ समाज और अर्थव्यवस्था को मिल सके. उनके अनुसार, भारत के पास आज एक सुनहरा अवसर है, जहां सही नीतियों और संसाधनों के साथ भविष्य में बड़े आविष्कार और नई तकनीकें विकसित की जा सकती हैं. हेल्थ, फूड प्रोसेसिंग के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी टेक्नोलॉजी आधारित समाधान भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत बना सकते हैं.

उन्होंने कृषि क्षेत्र को बेहद अहम बताते हुए कहा कि भारत में खेती से जुड़ी चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं. खेतों का आकार छोटा होता जा रहा है और ओवर-फर्टिलाइजेशन एक बड़ी समस्या बन चुका है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भारतीय किसान में मेहनत और लगन की कोई कमी नहीं है, लेकिन उसकी मेहनत के अनुरूप उसे उचित मुआवजा नहीं मिल पाता, जो एक गंभीर चुनौती है. इसी संदर्भ में उन्होंने मिट्टी की जांच से जुड़े एक नए इनोवेशन ‘भू-परीक्षक’ का उदाहरण दिया. उनके मुताबिक, जहां पहले मिट्टी की जांच रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन लग जाते थे, वहीं इस तकनीक के जरिए कुछ ही सेकंड में जमीन की स्थिति का पता लगाया जा सकता है, जिससे किसानों को सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी.

एआई बिजनेस-इंडस्ट्री का अहम हिस्सा

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर डॉ. निखिल अग्रवाल ने साफ कहा कि इससे डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने एआई की तुलना टेलीफोन और कंप्यूटर जैसी तकनीकों से करते हुए कहा कि जिस तरह इन तकनीकों ने समय के साथ काम करने के तरीके को बदला, उसी तरह एआई भी बिजनेस और इंडस्ट्री का अहम हिस्सा बनता जा रहा है.

उनके अनुसार, एआई नौकरियां छीनने के बजाय लोगों को और ज्यादा सक्षम बनाएगा. उन्होंने कहा कि जैसे टाइपराइटर के दौर से कंप्यूटर के दौर में बदलाव हुआ और नई तरह की नौकरियां पैदा हुईं, उसी तरह एआई भी नए अवसर लेकर आएगा. इसलिए भारत को एआई को अपनाकर, उसका सही उपयोग करके खुद को और मजबूत बनाना होगा, ताकि देश इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ सके.

ये भी पढ़ें: भारतीय शेयर बाजार में पैसे लगाए या नहीं? जानें क्यों मार्केट से भाग रहे विदेशी निवेशक

राजेश कुमार पत्रकारिता जगत में पिछले करीब 14 सालों से ज्यादा वक्त से अपना योगदान दे रहे हैं. राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों से लेकर अपराध जगत तक, हर मुद्दे पर वह स्टोरी लिखते आए हैं. इसके साथ ही, किसी खबरों पर किस तरह अलग-अलग आइडियाज के साथ स्टोरी की जाए, इसके लिए वह अपने सहयोगियों का लगातार मार्गदर्शन करते रहे हैं. इनकी अंतर्राष्ट्रीय जगत की खबरों पर खास नज़र रहती है, जबकि भारत की राजनीति में ये गहरी रुचि रखते हैं. इन्हें क्रिकेट खेलना काफी पसंद और खाली वक्त में पसंद की फिल्में भी खूब देखते हैं. पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखने से पहले उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मास्टर ऑफ ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म किया है. राजनीति, चुनाव, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर राजेश कुमार लगातार लिखते आ रहे हैं.
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