अमेरिका के ट्रेड वॉर का भारत पर नहीं होगा असर, 13 फरवरी को मोदी-ट्रंप मुलाकात से निकलेंगे नतीजे
जब 2016-2020 तक ट्रंप का पहला कार्यकाल था तब भी उन्होंने स्टील और एल्यूमिनियम के उत्पाद पर क्रमशः 25% और 10% टैरिफ बढ़ाया था.

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने इस बार भारी मतों से राष्ट्रपति चुनाव जीतकर इतिहास बनाया है. ट्रंप की दूसरी बार वापसी हो पाई है क्योंकि उन्होंने अमेरिका को फिर से ग्रेट बनाने का वायदा किया था, नहीं तो एक बार हारने के बाद दूसरी बार वापस आना अमेरिका में बड़ा मुश्किल होता है. इस बार जो-जो वादे उन्हें जनता से किए थे, उन सारे वादों को अब वह डिलीवर करना चाहते हैं. उनके चुनाव के भाषण में सारे विषय थे, जो वह अब धीरे-धीरे करके पूरा करने का कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने पहले से ही बोला था कि वह सभी देश पर अच्छी-खासी टैरिफ लगाएंगे, जो कि अमेरिका के ऊपर अतिरिक्त टैरिफ लगाकर अपनी अर्थव्यवस्था को चमका रहे हैं.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेंगे ट्रंप
अमेरिका में अब डी-ग्लोबलाइजेशन चल रहा है. उसको अब जरूरत है कि वापस से उन सारे डॉलर को अमेरिका वापस ले आएं, जो अब तक दूसरे देश अपनी तिजोरियों को भरने में इस्तेमाल करते थे। उन्होंने टैरिफ के बारे में कई तरह की घोषणाएं की हैं. प्रमुख रूप से उन्होंने मेक्सिको, कनाडा, रूस और चीन की बात की है, उन पर टैरिफ 10 से 25 फीसदी तक बढ़ा भी दिया है, हालांकि कनाडा के अनुरोध करने पर उन्होंने उसके मामले में थोड़ा समय दिया है, थोड़ा सा विराम भी लगा दिया है. चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका के ऊपर टैरिफ लगाने की बात कही है और 10% टैरिफ लगा भी दिया है. अभी भी कल ही जस्टिन ट्रूडो ने भी बोला है कि अगर इस तरह अमेरिका टैरिफ लगाता आएगा तो हम अमेरिका के ऊपर 25% टैरिफ लगाएंगे.
भारत को नहीं चिंता की जरूरत
यहां एक बात गौर करने लायक है कि अभी तक उन्हें भारत का नाम बिल्कुल भी नहीं लिया है, इस तरह के टैरिफ लगाने में और यह भी देखना चाहिए कि जब 2016-2020 तक ट्रंप का पहला कार्यकाल था तब भी उन्होंने स्टील और एल्यूमिनियम के उत्पाद पर क्रमशः 25% और 10% टैरिफ बढ़ाया था. उसके बुरे असर को धीमा करने के लिए उन्होंने अपने कुछ ट्रेडिंग पार्टनर को ड्यूटी फ्री कोटा दिया था, जिसमें कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील आदि शामिल थे. जो बाइडेन ने भी अपने कार्यकाल में यही कोटा एक्सटेंड किया, बल्कि उन्होंने ब्रिटेन, जापान और यूरोपीय यूनियन को भी इसमें शामिल कर दिया था क्योंकि उन्होंने नोटिस किया कि जो यूएस के स्टील के कारखाने थे, उनकी पूरी क्षमता का प्रयोग भी नहीं पा रहा था. तो ट्रंप ने यह काम पहले भी किया है. जो बाइडेन के दौरान भी यह चलता रहा है, लेकिन उस समय भी भारत को लेकर इस तरह की कोई भी स्थिति नहीं थी.
आने वाले एक-दो दिन में ट्रंप प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ लगाने का पूरा विवरण बताएंगे, लेकिन फिर भी ये मनना होगा कि भारत के ऊपर किसी भी तरह का टैरिफ अभी तक उन्हें लगाया नहीं गया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 12 फरवरी तक फ्रांस में हैं जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल होंगे, वहां से 13 फरवरी को अमेरिका जाएंगे और ट्रंप से मिलेंगे. हमें उम्मीद है कि अमेरिका से भारत की बातचीत सकारात्मक होगी, जब से ट्रंप आए हैं वह भारत को लेकर सकारात्मक ही चल रहे हैं. 13 फरवरी की बैठक के बाद पता चलेगा कि भारत अमेरिका के व्यापारिक संबंध किस करवट बैठ रहे हैं.
ट्रंप के ट्रेड वॉर से दुनिया में हड़कंप
ट्रंप ने ट्रेड वॉर शुरू कि उसका कोई देश पर सीधा प्रभाव पढ़ रहा है और भारत पर अप्रत्यक्ष प्रभाव तो है ही क्योंकि अत्यधिक मिली-जुली वैश्विक दुनिया में जो अर्थव्यवस्था है, कई देश एक-दूसरे के ऊपर अंतर-निर्भर यानी इंटरडिपेंडेंट हैं, ऐसे में अगर मेक्सिको, कनाडा, रूस, चीन जैसे देशों पर टैरिफ का बोझ पड़ेगा और ऐसे टैरिफ लगाने का प्रतिशोध वे लेंगे, तो विश्व की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना लाजिमी है. जब विश्व की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा तो भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. इसी वजह से सेंसेक्स नीचे जा रहा है और डॉलर बहुत महंगा होता जा रहा है. आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ेगी ही. भारत के लिए मिडिल क्लास को लेकर भी बहुत सारी चिताएं हैं, क्योंकि अगर महंगाई बढ़ती है तो असर राजनीति पर पड़ता है. शायद इसी वजह से मध्यम वर्ग को थोड़ा बजट में मोदी जी ने राहत दी. ये राहत सिर्फ भारत के मिडिल क्लास को ही नहीं मिली, क्योंकि शायद अमेरिका का दौरा उनके मन में था. इस वजह से ऐसी चीज के दाम भी कम हो गए हैं, उसमें टैरिफ घटाए गए हैं जिसका संबंध अमेरिका से था.
भारत है पहले से तैयार
जब मोदी जी टेबल पर बैठेंगे तो अमेरिका को और ट्रंप को लुभाने के लिए इस बार के बजट की पेशकश उनके सामने रखी जाएगी. ट्रंप के सामने यह पेश किया जाएगा कि ये सारे अमेरिका के सामान हैं, जो हम आपसे मंगाते हैं, ये सामान हैं जो हम आपको देते हैं, और दोनों की अर्थव्यवस्था पर इसका फर्क पड़ता है. इसलिए हमने टैरिफ काई चीजों पर 30% से घटाकर 10% कर दिया है, जहां 15% था वहां 5% हो गया है, तो अच्छा खासा फायदा है. इस बार के बजट में अमेरिका के सामान पर भी जा रहा है, जिस पर भारत ने टैरिफ कम किया है, यहां देखने वाली बात ये भी है कि चीन के ऊपर जो टैरिफ लगाया गया है अमेरिका ने, तो उससे चीन को जो नुकसान है, वो है ही, लेकिन आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था पर उसके पॉजिटिव असर नजर आएंगे क्योंकि कई कंपनियां भारत की तरफ अब रुख कर रही हैं, भारत का मुंह जोह रही हैं. भारत तो बड़ा बाजार है ही लेकिन जो देश चाइना से सामान मंगाते थे वह भारत के माध्यम से अमेरिका जाएगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था में 6 महीने तक थोड़ी उथल-पुथल हो सकती है. इन 6 महीने में चीजें स्थिर होंगी और 13 फरवरी को जो ट्रेड नेगोशिएशन अभी अमेरिका और ट्रंप से वाशिंगटन में होने वाला है, उससे भी बहुत कुछ निकल कर आएगा तो हो सकता है दोबारा से जो डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होगा ऐसा मेरा मनाना है. मेरा मानना है कि अगर लॉन्ग टर्म का देखेंगे तो भारत और अमेरिका के संबंध अच्छे ही होंगे और आगे ही बढ़ेंगे और नए आयाम तय करेंगे. ट्रंप और मोदी में पहले से अच्छी साझेदारी है और विश्व राजनीति को लेकर भी कई मुद्दे पर दोनों एक मत रखते हैं और अमेरिका को यह भी पता है कि उसकी एशिया की राजनीति में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है. अगर वह चीन को अपनी सीमा में रखना चाहता है, उसकी औकात में रखना चाहता है तो भारत का साथ उसको लेना ही होगा. वैश्विक राजनीति को देखते हुए अमेरिका और भारत के संबंध अच्छे ही होंगे, इसमें संदेह नहीं है.
13 फरवरी को रणनीतिक चर्चा पर भारत और अमेरिका में अच्छी खासी डील होगी. भारत और अमेरिका में अच्छी-खासी डील होती है तो अमेरिका की अर्थव्यवस्था को ही मजबूती मिलेगी और भारत का पूरा रक्षा क्षेत्र मजबूत होगा और आने वाली वैश्विक राजनीति को मद्देनजर रखते हुए दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा ही बढ़ेगा.
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