ब्लैक कैट कमांडो और CRPF की ट्रेनिंग में कितना अंतर? जान लीजिए जवाब
भारत के सुरक्षा बल देश की सुरक्षा में अहम योगदान देते हैं. ऐसे में इन्हें बहुत कठोर ट्रेनिंग दी जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि इनकी ट्रेनिंग कैसी होती है.
भारत के सुरक्षा बलों में ब्लैक कमांडो (NSG) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) दोनों ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे में दोनों ही बल देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. हालांकि ये दोनों एक नहीं हैं, बल्कि इनमें बहुत अंतर होता है. खासकर दोनों की ट्रेनिंग में. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर दोनों ही सुरक्षा बलों को किस तरह ट्रेनिंग दी जाती है और दोनों में अंतर क्या होता है.
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कैसे दी जाती है ब्लैक कैट कमांडो (NSG) को ट्रेनिंग?
बता दें NSG का गठन 1984 में आतंकवाद के बढ़ते खतरे को देखते हुए किया गया था. यह एक विशेष बल है जिसका मुख्य काम आतंकवाद का मुकाबला करना और VIP सुरक्षा प्रदान करना है. NSG कमांडो की ट्रेनिंग बेहद कठोर और चुनौतीपूर्ण होती है. इसमें हथियारों का प्रशिक्षण, शारीरिक प्रशिक्षण, मार्शल आर्ट, उग्रवादी युद्ध, शहरी युद्ध, और विभिन्न आपातकालीन स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण शामिल होता है. साथ ही NSG कमांडो को उच्च स्तरीय तकनीकी मशीनों और हथियारों का प्रशिक्षण दिया जाता है. वो विभिन्न प्रकार के आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए खासतौर पर प्रशिक्षित होते हैं.
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कैसे दी जाती है CRPF (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) को ट्रेनिंग?
CRPF की स्थापना 1939 में ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी. यह एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है जिसका खास काम आंतरिक सुरक्षा प्रदान करना है. यह बल चुनावों के दौरान सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान, नक्सलवाद विरोधी अभियान आदि में शामिल किया जाता है. साथ ही CRPF जवानों को भी कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन यह NSG कमांडो की तुलना में कम चुनौतीपूर्ण होता है. CRPF जवानों को हथियारों का प्रशिक्षण, शारीरिक प्रशिक्षण और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है. गौरतलब है कि CRPF जवान बड़े पैमाने पर ऑपरेशन करने में माहिर होते हैं. वो विभिन्न प्रकार के हथियारों और उपकरणों को चलाने में भी एक्सपर्ट होते हैं.
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