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Commonwealth Games 2030: कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी करेगा भारत! जानें किस तरह से होगी देश को कमाई

Commonwealth Games 2030: भारत कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी करने जा रहा है. आइए जानते हैं भारत को इसमें कैसे वित्तीय लाभ हो सकता है.

Commonwealth Games 2030: कॉमनवेल्थ गेम्स के कार्यकारी बोर्ड ने 2030 के खेलों के लिए अहमदाबाद को प्रस्तावित मेजबान शहर के रूप में सिफारिश की घोषणा की है. अब इस सिफारिश पर  कॉमनवेल्थ गेम्स के पूर्ण सदस्यों द्वारा मतदान किया जाएगा. जिसका निर्णय 26 नवंबर 2025 को ग्लासगो में होने वाली जनरल असेंबली में लिया जा सकता है. इसी बीच आज हम बात करने जा रहे हैं कि भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी करने पर किस तरह से वित्तीय लाभ हो सकता है. आइए जानते हैं.

खेलों से होने वाली आय का अनुमान

भारत 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स से कितनी कमाई कर सकता है इसका सटीक जवाब देना तो मुश्किल है लेकिन हम यह पता कर सकते हैं कि किस तरह से वित्तीय लाभ हो सकता. पिछले आयोजन और अनुमानित आय स्रोत के संभावित वित्तीय लाभों के जरिए हमें जानकारी मिल सकती है. वैसे तो बड़े पैमाने के खेल आयोजनों से होने वाली आय की गणना करना काफी ज्यादा जटिल होता है, क्योंकि इसमें प्रत्यक्ष आय के अलावा कई कारक शामिल होते हैं, लेकिन हमें आय के स्रोत पता चल सकते हैं.

संभावित राजस्व स्रोत

कमाई का एक बड़ा साधन स्पॉन्सरशिप होती है. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों कंपनियां अक्सर इतने बड़े आयोजनों के प्रयोजन सौदों में काफी ज्यादा निवेश करती हैं. इस वजह से खेलों के वित्त पोषण के साथ-साथ ब्रांड की दृश्यता भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है. इसके अलावा आय का एक बड़ा स्रोत ब्रॉडकास्ट राइट्स भी होते हैं. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्कों के खेलों के प्रसारण के अधिकार बेचने से काफी ज्यादा कमाई हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि लाखों दर्शक इन प्रतियोगिताओं को देखते हैं.

वहीं एक और जरिया है टिकट बेचना. अलग-अलग खेलों और समारोह के टिकट खरीदने वाले दर्शक आयोजकों को सीधे वित्तीय लाभ देते हैं. इसी के साथ वस्तुओं की बिक्री से भी अच्छा खासा रेवेन्यू मिलता है. कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम पर टी-शर्ट, टोपियां और स्मृति चिन्ह खरीदने वाले प्रशंसक आय का एक और जरिया बन जाते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इन खेलों की मदद से पर्यटन को भी काफी ज्यादा बढ़ावा मिल सकता है. भारत और दुनिया भर से पर्यटक अहमदाबाद आएंगे. जिस वजह से होटल, रेस्टोरेंट और स्थानीय परिवहन के साथ-साथ बाकी क्षेत्रों को भी लाभ होगा. वहीं इसी बीच यह ध्यान रखना काफी ज्यादा जरूरी है कि इतने बड़े पैमाने के आयोजनों में अक्सर भारी बुनियादी ढांचे और निर्माण लागत शामिल होती है. कई मामलों में यह लागत राजस्व से भी ज्यादा हो सकती है जिससे शुद्ध लाभ अनिश्चित हो जाता है.

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स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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