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कैसे सत्यमेव पुरम से नूंह बना ये जिला, 1200 साल पुराने इतिहास वाले इस शहर का दो बार बदला गया था नाम

मेवात के शोध पर लिखी किताबों में इस बात का उल्लेख है कि किशनधज नाम के ब्राह्मण ने इंदौर से आकर नूंह को बसाया था. बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने ब्राह्मणों से सारी जमीन छीनकर खानजादों को नूंह सौंप दिया.

History of Nuh: नूंह कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है. इस शहर को अपनी असली पहचान तब मिली जब इसका नामकरण जिले के रूप में किया गया. उससे पहले इस शहर को अंग्रेजी शासन के समय से तहसील का दर्जा मिला हुआ था. नूंह देश के ऐतिहासिक शहरों में से एक है. हालांकि, बीच में इसकी पहचान खो गए थी, जिसे सरकार ने इसका नामकरण कर वापस से पहचान दिलाई थी. बताया जाता है कि इस शहर का इतिहास तकरीबन 1200 साल पुराना है.

किसने बसाया था मेवात

मेवात के शोध पर लिखी गई किताबों में इस बात का उल्लेख है कि किशनधज नाम के ब्राह्मण ने इंदौर से आकर नूंह शहर को बसाया था. बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने ब्राह्मणों से सारी जमीन छीनकर खानजादों को नूंह सौंप दिया. उस दौरान यहां खानजादों और कुरैशियों की आबादी सबसे अधिक थी. जब देश का बंटवारा हुआ तो ज्यादातर कुरेशी और खानजादे पाकिस्तान चले गए. नूंह के आसपास के देहात इलाके में मेव और जाट समाज रहता है.

क्या है मेवात?

'द ओरल ट्रेडिशन ऑफ मेवात' पेपर के मुताबिक, मेवात का इलाका लगभग 7910 वर्ग किलोमीटर का है. इसमें हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से आते हैं. इन सभी इलाकों से मिलकर मेवात बनता है, जहां मेव रहते हैं. ये लोग वैसे तो मुस्लिम हैं लेकिन इनका मानना है कि वो राम, कृष्ण और अर्जुन के वंशज हैं.

दो बार अलग-अलग नाम से बना जिला

नूंह दो बार अलग-अलग नामों से जिला बनाया गया था. सबसे पहले 2 अक्टूबर 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने पुन्हाना में इसे गुड़गांव से अलग कर जिले का दर्जा देने की घोषणा की और इसका नाम सत्यमेव पुरम रखा गया. इसके बाद जब अप्रैल 2005 में कांग्रेस ने सत्ता आई तो इसे दोबारा से जिला बनाने की अधिसूचना जारी की गई और इसका नाम बदल कर मेवात कर दिया गया. इसके बाद साल 2016 में मेवात का नाम बदलकर नूंह कर दिया गया. दो साल बाद यानी 2018 में नीति आयोग की एक रिपोर्ट आई, जिसमें नूंह को देश का सबसे पिछड़ा जिला बताया गया.

1857 की क्रांति का प्रमुख केंद्र था

नूंह आजादी के संघर्ष में साल 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख केंद्र भी रहा था. यहां के लोगों ने बढ़-चढ़कर आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया. इलाके के शहीदों की याद में यहां शहीद पार्क भी बनाया गया था, हालांकि, अब वहां नगर पालिका का कार्यालय है. मौजूदा समय नूंह में शिक्षण संस्थानों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर फोकस किया जा रहा है. इसी के साथ नूंह विकास की दौड़ में शामिल हो रहा है.

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