Explainer: क्या होता है Quiet Quitting? सोशल मीडिया पर क्यों हो रही है इसकी चर्चा
Quiet Quitting: कर्मचारी की जितनी सैलरी हो उसको उतना ही काम करना चाहिए, ऐसा इसलिए ताकि आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बना रहे.

Quiet Quitting: इस समय दुनिया में 'क्वाइट क्विटिंग' (Quiet Quitting)नाम का एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है. दुनिया भर में बड़ी तादात में युवा ऑफिस में वर्क कल्चर के बढ़ते दबाव और निजी जिंदगी में दखल के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं. दुनियाभर के युवा ये मानते हैं कि ऑफिस का वातावरण उनके मुताबिक नहीं है और वो काम के प्रेशर से जूझ रहे हैं. काम के प्रेशर की वजह से लोग अपने परिवार और ऑफिस के बीच संतुलन नहीं बना पा रहे हैं, जिसकी वजह से वो डिप्रेशन में जा रहे हैं.
इसके अलावा इस ट्रेंड में शामिल होते हुए दुनियाभर के कर्मचारी महज उतना ही काम कर रहे हैं जितना कि नौकरी में बने रहने के लिए जरूरी है. आइए जानते हैं कि क्वाइट क्विटिंग ट्रेंड कहां से और कैसे शुरू हुआ?
खुद के लिए समय नहीं
दरअसल, दुनियाभर के नौकरीपेशा लोग ऑफिस में एक्स्ट्रा काम, दफ्तर से घर आने के बाद ऑफिस का काम और छुट्टी के दिन भी घर को वर्क प्लेस बना देना जैसी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं. ये सभी समस्याएं नौकरीपेशा लोगों के लिए आम हो गई हैं, जिससे वो खुद के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं. बता दें कि इन्हीं समस्याओं के कारण इससे पहले 'द ग्रेट रेजिग्नेशन' का ट्रेंड शुरू हुआ था. हालांकि क्वाइट क्विटिंग और द ग्रेट रेजिग्नेशन में अंतर है.
क्वाइट क्विटिंग और द ग्रेट रेजिग्नेशन में अंतर
क्वाइट क्विटिंग में कहा जा रहा है कि कर्मचारी की जितनी सैलरी हो उसको उतना ही काम करना चाहिए, ऐसा इसलिए ताकि आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बना रहे. इसके साथ ही इस ट्रेंड का मतलब है कि ऑफिस का काम चाहें जितना भी हो, लेकिन समय होने के बाद एक्स्ट्रा काम करने से बचना चाहिए. कर्मचारी को इसकी भी परवाह नहीं करनी चाहिए कि बॉस खुश होंगे या नाराज.
वहीं दुनिया के कई देशों में 'द ग्रेट रेजिग्नेशन' के तहत लाखों कर्मचारियों ने ऑफिसों के माहौल, बॉसेस, सीनियर्स और कम सैलरी के कारण बड़े पैमाने पर अपनी नौकरी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया था. जबकि क्वाइट क्विटिंग में दुनियाभर के कर्मचारी काम से परेशान होकर खामोशी से काम छोड़ रहे हैं.
क्वाइट क्विटिंग ट्रेंड की शुरूआत
बता दें कि क्वाइट क्विटिंग सोशल मीडिया एप टिक-टॉक से शुरू हुआ था. टिक-टॉक के एक यूजर ने इस ट्रेंड को शुरू किया, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग इस ट्रेंड से जुड़ते चले गए. शख्स ने लगातार इस ट्रेंड से जुड़े कई वीडियो शेयर किए गए. वीडियो में ऑफिस वर्क कल्चर से जुड़ी जानकारियां दी गई थीं. इसके अलावा लोगों को बताया गया कि ट्रेंड की वजह से कैसे उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ सुधर रही है. वो ऑफिस समय से जाते और समय से घर वापस आते हैं.
40 लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ी नौकरी
गौरतलब है कि अमेरिका में इस ट्रेंड की वजह से 40 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी नौकरियां छोड़ दी थीं, वहीं ब्रिटेन जैसे देश में आज भी 20 फीसदी कर्मचारी अगले साल तक अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ देना चाहते हैं. मगर, इसमें भी जिन लोगों के पास नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी या खुद का काम करने का ऑप्शन नहीं होता वो क्वाइट क्विटिंग का तरीका अपना रहे हैं.

वहीं इस ट्रेंड की कई सारी बातों में से एक यह भी है कि लोग अगर नौकरी नहीं छोड़ते तो महज उतना ही काम करते हैं जितना जरूरी होता है. इसका मतलब है कि कंपनी द्वारा दिए गए एक्स्ट्रा काम को या किसी दूसरे के हिस्से के काम को खामोशी से ना कह देते हैं, या फिर अपने ऊपर एक्स्ट्रा जिम्मेदारी नहीं लेते हैं.
अपनी नौकरियों से खुश नहीं युवा
डेलॉयट के एक सर्वे में सामने आया है कि 1981 के बाद जो लोग पैदा हुए और जिनकी उम्र 25-40 साल के बीच है और जेनरेशन जी यानी वो युवा जो 1997 के बाद पैदा हुए और वो आज की तारीख में 24 साल के हैं, उन्हें लगता था कि वो कोरोना काल के बीत जाने के बाद एक शानदार भविष्य बना सकते हैं, लेकिन 2022 आने के बाद ऐसा नहीं हुआ और अब ये युवा अमनी नौकरियों से खुश नहीं हैं.
जितनी सैलरी, उतने ही खर्चे
बता दें कि 46 देशों के 23 हजार से ज्यादा युवाओं पर किए गए अध्ययन में सामने आया कि 32 फीसदी युवा बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. महंगाई में खासतौर से ट्रांसपोर्ट, घर सहित अन्य जरूरी सेवाओं की बढ़ती किमतों ने उन्हें चिंता में डाल दिया है. वहीं 47 फीसदी युवाओं क मानना है कि उनकी जितनी सैलरी है उनके उतने ही खर्चे हैं. इन युवाओं को ये डर सताता रहता है कि आपात स्थिति में उनके पास कोई सेविंग नहीं है, जिससे वो निपट पाएं. अध्ययन में सामने आया कि 75 फीसदी युवा मानते हैं कि उनके देश में अमीरी और गरीबी के बीच खाई और ज्यादा बढ़ती जा रही है. हालांकि युवाओं के सामने पैदा हुईं इन परिस्थितियों ने उन्हें चिंता और डिप्रेशन में डाल दिया है. शायद यही वजह है कि जो लोग नौकरियां नहीं छोड़ सकते वो एक्स्ट्रा काम और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने लगे हैं.
Source: IOCL





















