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Explained:चीन के सबसे अमीर शख्स से चौथे नंबर पर खिसके Jack Ma, छोड़ने जा रहे हैं एंट ग्रुप

Jack Ma Is Giving Up His Power:चीन की सरकार के दबावों के चलते जैक मा (Jack Ma) अपनी फिनटेक कंपनी, एंट ग्रुप (Ant Group) का नियंत्रण छोड़ने जा रहे हैं.

Jack Ma Is Giving Up His Power: चीनी अरबपति जैक मा (Jack Ma) को चीन की सरकार के दबावों की खासी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. मा ने अपनी वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी (Fintech Company) एंट ग्रुप ( Ant Group) का नियंत्रण छोड़ने की योजना बनाई है. वॉल स्ट्रीट जर्नल (Wall Street Journal) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मा अपने कुछ वोटिंग शेयरों को सीईओ सहित एंट के वरिष्ठ अधिकारियों को हस्तांतरित करेंगे. उनके इस कदम को उनकी अरेबियन नाइट्स (Arabian Nights) फेयरी टेल्स के चरित्र पर बनाई अलीबाबा समूह (Alibaba Group) से दूर जाने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है. कभी चीन के सबसे अमीर व्यक्ति रहे मा 36.6 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ अब इस देश चौथे सबसे अमीर शख्स के पायदान पर उतर आए हैं. चीन के सरकारी नियंत्रण से बाहर निकलने के लिए जैक मा को काफी कीमत चुकानी पड़ी है. 

अभी यूरोप के दौरे पर हैं जैक मा

लगभग दो वर्षों तक जनता की नज़रों से गायब रहने के बाद जैक मा यूरोप (Europe) में एक हफ्ते के लंबे  दौरे पर हैं. उनका यह दौरा यही संकेत दे रहा है कि चीन की सरकार इस उद्यमी पर दबाव कम कर रही है. इसके पीछे की वजह अरबपति मा के अपने व्यापारिक साम्राज्य से पीछे हटना लगाया जा सकता है. इस कारोबारी साम्राज्य की वजह से ही वह चीन सरकार की आंखों में खटक रहे थे. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इन दिनों अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड के 57 वर्षीय सह-संस्थापक मा ऑस्ट्रिया के एक रेस्तरां में देखे गए. इसके बाद उन्होंने टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) के बारे में जानने के लिए नीदरलैंड के एक विश्वविद्यालय का दौरा किया और इसके बाद उनकी बोट को स्पेनिश द्वीप मलोर्का (Mallorca) पर देखा गया.  हालांकि यह चीन के बाहर मा की पहली यात्रा नहीं है.

चार फीसदी गिर गए अलीबाबा के शेयर

वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक कि एंट के चीनी नियामकों से मा के नियंत्रण छोड़ने का इरादा के बारे में बताने के बाद ही अलीबाबा के हांगकांग-सूचीबद्ध शेयर शुक्रवार 29 जुलाई की सुबह 9:49 बजे तक 4 फीसदी गिर गए थे. हालांकि मा के पास एंट प्रबंधन में कोई खिताब नहीं है और कंपनी का नियंत्रण छोड़ने से दैनिक कार्यों में थोड़ा ही व्यवधान होगा, क्योंकि वह वर्षों से गहराई से इसमें शामिल नहीं है. जैक मा के इस फैसले से अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के "साझा समृद्धि" प्राप्त करने के दृष्टिकोण को पूरा करने का रास्ता साफ होगा. गौरतलब है कि मा का कदम यह चीनी हित प्रहरियों के प्रौद्योगिकी फर्मों के "लापरवाह" विस्तार पर अंकुश लगाने का संकल्प पर मुफीद बैठेगा. 

चीनी सरकार से बचने को छोड़ा एंट ग्रुप

गौरतलब है कि हाल के वर्षों में वैश्विक बाजारों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निजी क्षेत्र के लिए विकसित होते रुख पर पैनी नजर रखी जा रही है. कुछ पर्यवेक्षकों ने चीन के विशाल इंटरनेट क्षेत्र को गैर-निवेश योग्य कहा है. इससे पहले कि मा चीनी नियामकों का गुस्से के शिकार हो. वह ई-कॉमर्स दिग्गज अलीबाबा और एंट के जुड़वां साम्राज्यों से खुद को दूर कर रहे हैं. गौरतलब है कि इसी वजह से मा ने 2013 में अलीबाबा के सीईओ और फिर 2019 में चेयमैन का पद छोड़ दिया था. उन्होंने साल 2014 की शुरुआत में एंट में अपनी हिस्सेदारी को 8.8 फीसदी से कम करने और 611 मिलियन शेयर चैरिटी को दान करने का इरादा जाहिर कर दिया था. 

कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना से पड़े परेशानी में

जैक मा ने साल  2020 में अपनी फिनटेक दिग्गज एंट ग्रुप कंपनी के नियमन को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों की आलोचना की थी. तब चीनी सरकार ने इस अरबपति को देश नहीं छोड़ने की सलाह दी दी थी. हाल ही में दो महीने पहले मई में इस बिजनेस टाइकून को डरे निवेशकों की वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. तब अलीबाबा के शेयरों को 26 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा था. तब चीनी लोकल मीडिया ने चीनी अधिकारियों के मा उपनाम के एक शख्स पर पर प्रतिबंध लगाने की खबर चला दी थी. इससे निवेशकों को लगा कि मा चीन सरकार के फंदे में फंस गए हैं. हालांकि बाद लोकल मीडिया ने साफ  किया कि रिपोर्ट किसी और मा का जिक्र कर रही थी. चीनी सरकार के शिकंजे बाहर निकलने के लिए जैक मा को भारी कीमत देनी पड़ी है. 

एंट चीनी सरकार की आंख की किरकिरी

चीनी नियामकों ने साल 2020 में जैक की कंपनी एंट की बहुप्रतीक्षित पहले सार्वजनिक प्रस्ताव को बर्बाद किया था. जब एक कंपनी अपने सामान्य स्टॉक (common stock) या शेयर पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे आइपीओ यानी पहला सार्वजनिक प्रस्ताव कहा जाता है. इसके बाद कंपनी ने चीन की सरकार के सख्त नियमों का पालन करने के लिए कंपनी के परिचालन में बदलाव किया था. कंपनी ने चीन के केंद्रीय बैंक के साथ नियमित रूप से चर्चा की कि कैसे संचालन को सुधारा जाए.अपने शुरुआती वर्षों में, डिजिटल भुगतान और मुद्रा बाजार जमा जैसी सेवाओं में एंट की कामयाबी ने चीन समर्थित बैंकों के प्रभुत्व को खतरे में डाल दिया. यूनाइटेड फर्स्ट पार्टनर्स में एशियन रिसर्च के प्रमुख जस्टिन टैंग (Justin Tang) ने कहा, "अगर मा एंट का नियंत्रण दूसरे को सौंपते हैं, तो एंट कंपनी की गर्दन पर लटकी चीनी सरकार की तलवार का जोखिम कम हो जाएगा.

मा ने भी कहा दूर होंगे एंट से

इस मामले के जानकारों के मुताबिक एंट ने चीनी नियामकों को मौखिक रूप से ये संकेत तभी दे दिया था कि मा कंपनी पर अपना नियंत्रण छोड़ना चाहते हैं. गौरतलब है कि एंट ने मा के इसे छोड़ने की योजना से चीनी अधिकारियों और केंद्रीय बैंक को वर्षों पहले ही अवगत करा दिया था. इसके तहत विचाराधीन एक प्रस्ताव में मा के शेयरों को एंट के अन्य अधिकारियों को स्थानांतरित करना शामिल है, ताकि कंपनी की देखरेख एक समिति कर सके.इस हफ्ते एक दस्तावेज में अलीबाबा ने दोहराया कि मा समय के साथ एंट ग्रुप में अपने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक हित को कम करने और उसके बाद एक फीसदी तक सीमित करने का इरादा रखता है. जो कि 8.8 फीसदी से अधिक नहीं है. मा के पास वर्तमान में एंट के  50.52 फीसदी वोटिंग अधिकार हैं. हालांकि एंट, अलीबाबा और मा फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने और चीन के केंद्रीय बैंक दोनों ने ही इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया.

कैसे बनी अलीबाबा

जैक मा की जिंदगी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है. एक अंग्रेजी टीचर होते हुए उन्होंने एक ऐसा काम कर डाला, जिसमें उनकों कोई खास जानकारी नहीं थी. कंप्यूटर को पूरी तरह न जानने के बाद भी ऑनलाइन कारोबार की नींव डाली. उन्होंने अलीबाबा का ऑन लाइन बिजनेस अपने अपार्टमेंट में शुरू किया था और साल 2014 में सार्वजनिक हिस्सेदारी से 25 अरब डॉलर का इकट्ठा कर डाले. साल 2018 फॉर्ब्स लिस्ट में जैक मा को 34.6 अरब डॉलर की दौलत के साथ चीन के सबसे अमीर शख्स करार दिया गया. साल 2019 में मा अलीबाबा ग्रुप के चेयरमैन के पद से रिटायर हुए. इसके बाद 18 मई 2020 इस समूह के संस्थापक सॉफ्टबैंक बोर्ड से भी इस्तीफा देने का एलान किया गया. तब सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प ने कहा था कि वह अपना जीवन सामाजिक कार्यों को समर्पित करना चाहते हैं. 

चीनी सरकार से मतभेदों के बाद हुए गायब

अलीबाबा के संस्थापक जैक मा साल 2020 से ही चीनी सरकार के निशाने पर रहे हैं. इसके बाद केवल दो-चार मौकों को छोड़कर वह लंबे वक्त वह पब्लिकली नहीं देखे गए थे. इस वजह से उनके गायब होने के कयास लगाए जा रहे थे. चीन की सरकार से चल रही तानातानी के बीच इसी साल 2022 मई में उनके गिरफ्तार होने की खबरें भी सामने आईं थीं. इस वजह से उनकी कंपनी को खासा नुकसान झेलना पड़ा था. डर के वजह से इंवेस्टर्स अलीबाबा के शेयर बेचने लगे और अलीबाबा कंपनी का एमकैप (MCap) 28 बिलियन डॉलर यानी 2.06 लाख करोड़ रुपये नीचे चला गया.

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