कैसे तय करें, आपको क्वॉरंटीन होने की ज़रूरत है या नहीं?
देश में लॉकडाउन के बाद सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें क्वॉरंटीन होने की ज़रूरत होती है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग समझने में देर कर देते हैं.

कोरोना वायरस की वजह से भारत समेत दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां लॉकडाउन चल रहा है. मकसद ये है कि वेवजह लोगों को घर से बाहर निकलने से रोका जाए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाया जाए. क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग ही वो तरीका है, जिससे कोरोना ट्रांसमिशन को रोका जा सकता है. लेकिन अगर किसी को एक बार कोरोना हो जाए या फिर इस बात की आशंका हो कि उसे कोरोना है तो फिर उसका संक्रमण किसी और में न फैले, इसका इकलौता तरीका है क्वॉरंटीन होना. किसी को क्वॉरंटीन होने की ज़रूरत कब है, इसे जानने के लिए सबसे पहले कोरोना के लक्षणों को जानना होगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सूखी खांसी, बुखार, शरीर में दर्द, कमजोरी होना, थकान लगना, सांस लेने में तकलीफ होना, सूंघने की क्षमता में कमी होना, खाना ठीक से न पचना या फिर डायरिया की शिकायत, खाने का स्वाद ठीक न लगना, उठने-बैठने में तकलीफ होना, होठों का सूखना और सीने में दर्द जैसे लक्षण कोरोना के लक्षण हैं. अगर किसी को भी ये लक्षण दिख रहे हों तो उसे तुरंत ही खुद से सेल्फ आइसोलेशन या सेल्प क्वॉरंटीन कर लेना चाहिए. इसके बाद उस आदमी को अपने नज़दीकी कोरोना टेस्टिंग सेंटर या फिर हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके अपनी पूरी स्थिति बतानी चाहिए.
इसके अलावा अगर आपने या आपके किसी परिचित ने लॉकडाउन से ठीक पहले विदेश की यात्रा की हो, तो उसे खुद से ही एहतियात बरतते हुए खुद को सेल्फ क्वॉरंटीन कर लेना चाहिए. अगर आपको ये पता हो कि आप किसी कोरोना से पीड़ित शख्स के संपर्क में आ गए हैं, तो बिना देर किए आपको खुद से अपने परिवार से दूर होकर खुद को सेल्फ क्वॉरंटीन कर लेना चाहिए. इसके अलावा अगर आपको इस बात की आशंका हो कि आप किसी कोरोना पीड़ित के संपर्क में आए हैं, तो आपको एहतियात के तौर पर कुछ दिनों के लिए सेल्फ आइसोलेशन में चले जाना चाहिए. अगर 14 दिनों के बाद भी स्थितियां सामान्य रहती हैं, तो घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है. इस बीच अगर स्थितियां खराब होती हैं और ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तो तुरंत ही मेडिकल टीम से संपर्क कर मदद मांगनी चाहिए. आप अपने शरीर में पैदा हो रहे लक्षणों के हिसाब से खुद ही तय कर सकते हैं कि आपको खुद को क्वॉरंटीन करने देना चाहिए या नहीं.
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Source: IOCL






















