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Explained: अब मचा काले कपड़ों पर हंगामा, ये पहली बार नहीं...बीते 8 साल में इन मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरी कांग्रेस

Congress On Streets: एनडीए सरकार के विपक्ष में खड़ी कांग्रेस बेरोजगारी जैसे कई मुद्दों पर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन बीजेपी इसे कांग्रेस के राम जन्मभूमि के विरोध से जोड़ रही है.

Congress On Streets Against NDA Government: केंद्र की मोदी सरकार के राज में महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के नेता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. शुक्रवार 5 अगस्त को  कांग्रेस ने पूरे देश में विद्रोह प्रदर्शन किया. देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेसी नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने काले कपड़ों में खुद मोर्चा संभाला. इस दौरान हिरासत में लिए जाने पर प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया.उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जनता की आवाज दबा रही है.

उधर दूसरी तरफ बीजेपी (BJP) के नेताओं ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला. बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते आठ सालों में कांग्रेस को महंगाई और बेरोजगारी की याद नहीं आई. केंद्र और मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी नेताओं के विद्रोह के ये स्वर ईडी (ED) की कार्रवाई के डर का नतीजा है. यहां हम बीजेपी और कांग्रेस के आरोपों- प्रत्यारोपों के बीच जमीनी हकीकत पर नजर डालने की एक कोशिश करते हैं.   

देश में बढ़ती मंहगाई के खिलाफ प्रदर्शन

शुक्रवार पांच अगस्त को कांग्रेस के आह्वान पर पूरे देश भर में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किए गए. ये प्रदर्शन मोदी सरकार में महंगाई, बेरोजगारी, खाने-पीने की चीजों को जीएसटी के दायरे में लाने के खिलाफ किया गया.इसके बाद पुलिस ने कांग्रेसी नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया. कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने काले रंग के कपड़ों को अपने विरोध का हथियार बनाया.

राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेसी सांसदों ने संसद भवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला, लेकिन उन्हें रास्ते में ही न्यू पुलिस लाइंस किंग्सवे कैंप में हिरासत में ले लिया गया. इस वजह से कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों और पार्टी के सीनियर नेताओं पीएम आवास को घेरने की योजना सफल नहीं हो पाई.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कांग्रेस नेताओं के इस प्रदर्शन को ‘‘तुष्टिकरण’’ की राजनीति कहा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने काले कपड़ों में प्रदर्शन के लिए 5 अगस्त का दिन राम जन्मभूमि के शिलान्यास की वजह से चुना. शाह ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय-ईडी (Enforcement Directorate-ED) की कार्रवाई और महंगाई के मुद्दे तो केवल बहाना हैं.असल में कांग्रेस ने गुपचुप तरीके से मंदिर के विरोध के लिए एक गुप्त संदेश देने की कोशिश की है. गृह मंत्री शाह के बयान कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि केवल बीमार मानसिकता के लोग ही ऐसे फर्जी तर्क देते हैं. 

अग्निपथ स्कीम के विरोध 2022 में कांग्रेस का भारत बंद

केंद्र सरकार की सेना भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ स्कीम (Agnipath Scheme) के विरोध में कांग्रेस ने जून 2022 में पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन किया था. 20 जून को भारत बंद का भी एलान किया गया. था. देश की राजधानी दिल्ली में भी कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता विरोध पर थे. कई कांग्रेसी प्रभावी नेता दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह पर बैठ गए थे. इसके साथ ही जंतर-मंतर की मेन रोड, कनॉट प्लेस, आईटीओ सहित देश की राजधानी में कई जगह कांग्रेसी कार्यकर्ता तिरंगा झंडा लिए इस स्कीम की वापसी की मांग कर रहे थे. 

सालभर का 2020-21 का किसान आंदोलन

मोदी सरकार सितंबर 2020 में कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई. इसे लेकर किसानों ने विरोध किया और नवंबर 2020 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिल्ली आ गए. दिल्ली के बार्डर पर डेरा जमाए हजारों किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे. हालांकि केंद्र सरकार इस पर संशोधन की बात कहती रही.

कोई नतीजा न निकलते देख साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के लागू करने पर रोक लगा दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून को रद्द करने का एलान किया और इसके साथ ही 9 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा की.

कांग्रेस भी किसानों के इस आंदोलन में केंद्र सरकार के खिलाफ खड़ी रही. 26 जुलाई 2021 को सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) सुबह दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर पर निकल आए. वह इस ट्रैक्टर से संसद पहुंचे. उनके साथ कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा भी थी. इस दौरान कांग्रेसी नेता सुरजेवाला और बीवी श्रीनिवास को हिरासत में लिया गया.

सीएए-एनआरसी 2019-20 में कांग्रेस का विरोध

मोदी सरकार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता कानून में संशोधन (CAA) लेकर आई. इसमें इन तीन देशों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया. ये कानून दिसंबर 2019 में संसद से पास हो गया. इस कानून को खूब विरोध हुआ. इसी कानून की वजह से शाहीन बाग पूरी दुनिया में मशहूर हो गया.

इस पर भी कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पर उतर आई थी. सोमवार 23 दिसंबर 2019 को सीएए के खिलाफ कांग्रेस पार्टी दिल्ली में राजघाट पर धरना दिया. इसमें कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई सीनियर नेता शामिल थे. इसके लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोगों से राजघाट पहुंचने की अपील की थी. 

साल 2018 एससी-एसटी बिल का विरोध को समर्थन

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को  एससी-एसटी एक्ट को लेकर फैसला सुनाया और इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. हालांकि बाद में दलित समुदाय के गुस्से को देखते हुए मोदी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को पुराने रूप में लाने निर्णय लिया और इसके लिए संसद में संशोधित कानून पास करवाया.

इसी एक्ट के खिलाफ 9 अगस्त 2018 एससी-एसटी बिल के विरोध में  जंतर मंतर पर प्रदर्शन हुआ था. इसे समर्थन देने के लिए तत्कालीन  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहुंचे थे. तब  राहुल ने केंद्र की मोदी सरकार को दलित विरोधी कहा था. उन्होंने उस वक्त कहा था कि उन्हें देश में जहां भी दलितों पर अन्याय के खिलाफ बुलाया जाएगा. वह वहां समर्थन के लिए जाएंगे.

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2015 का विरोध

साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के कुछ  महीने बाद भूमि अधिग्रहण के लिए एक नया अध्यादेश निकाला गया. इसमें भूमि अधिग्रहण के लिए 80 फीसदी किसानों की मंजूरी का प्रावधान समाप्त कर दिया गया. केंद्र सरकार ने इसे संसद में पास करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन ये संभव नहीं हो पाया. सरकार ने कई बार इस अध्यादेश को संसद में पास कराने की कोशिश की लेकिन ये पास नहीं हो सका.

इसके विरोध में किसानों के साथ ही कांंग्रेस पार्टी भी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई थी.तब कांग्रेस हाईकमान ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश  को लेकर 12 मार्च 2015 को देश में एक साथ विरोध प्रदर्शन का एलान किया था. भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर कांग्रेस के सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन के तहत 17 मार्च 2015 को कांग्रेस सहित नौ पार्टियों के नेता विरोध में संसद से पैदल मार्च करते हुए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौपने गए थे.अंत में 31 अगस्त 2015 को सरकार ने इस अध्यादेश को वापस लेने की घोषणा की.

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